काठमांडू: देश की संसद में नए राजनीतिक नक्शे को स्वीकृति के लिए रखने के बाद कई दिनों बाद नेपाल ने भारत के सामने सीमा विवाद के समाधान के लिए सचिव स्तर की बातचीत का प्रस्ताव रखा है। नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में भारत के कुछ क्षेत्रों के दर्शाया था। ऐसे में अब खबर आ रही है कि नेपाल ने भारत को संदेशा भेजा है कि वो इस विवाद के निपटारे के लिए तैयार है। सीमा विवाद के समाधान के लिए उसने दोनों देशों के सचिव स्तर के अधिकारियों के बीच वर्चुअल मीटिंग का प्रस्ताव भी दिया है।
नेपाल सरकार ने भारत को डिप्लोमैटिक नोट भेजकर कहा है कि विदेश सचिव व्यक्तिगत तौर पर इस मामले के समाधान के लिए मुलाकात कर सकते हैं या वर्चुअल मीटिंग के जरिए कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं जिनपर वो दावा पेश कर रहा है। पिछले महीने भारत सरकार ने कहा था कि विदेश सचिव हर्षवर्धन शिंगला और शंकर दास वैरागी इस मुद्दे पर कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक उबरने के बाद चर्चा करेंगे।
वहीं 9 मई 2020 को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि दोनों देश सचिव स्तर की चर्चा के कार्यक्रम अंतिम रूप देने में जुटे हैं। जिसका आयोजन एक बार तारीख के तय होने के बाद होगा जब दोनों देश कोरोना महामारी के प्रकोप से सफलतापूर्वक उबर जाएंगे।
दो बार नाकाम रही सचिव स्तरीय वार्ता की कोशिश
सचिव स्तरीय चर्चा का सुझाव 1997 में प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के नेपाल दौरे और साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी और गिरीजा प्रसाद कोईराला के बीच हुई बातचीत के दौरान आया था। लेकिन लेकिन दोनों ही बार सचिव स्तर की बातचीत नहीं हो सकी। ऐसे में कोरोना वायरस के खात्मे को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच नेपाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा करना चाहता है।
पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के कहर के बीच कई वीडियो कॉन्फ्रेंस की हैं। इसकी शुरुआत सार्क देशों के साथ हुई थी जिसमें नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भाग लिया था। इसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही जी 20 सम्मिट का आयोजन भी हुआ। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कई देशों के विदेश मंत्रियों या समकक्ष के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुलाकात कर चुके हैं।
मानसरोवर यात्रा मार्ग के उद्घाटन पर हुआ विवाद
8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी विडियो लिंक के जरिए लिपुलेख से मानसरोवर यात्रा मार्ग के 80 किमी लंबे हिस्से का उद्धाटन किया था। इस घटना नए सिरे से नेपाल में विरोध को हवा दे दी क्योंकि नेपाल के लोगों का मानना था कि यह जगह उनके अधिकार क्षेत्र में आती है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने भी रोड को खोले जाने का विरोध करते हुए इसे भारत का एकतरफा फैसला बताया। नेपाल ने कहा कि यह दोनों देशों की आपसी सहमति के खिलाफ है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच चर्चा में भी यह कहा जा चुका है कि सीमा विवाद का हल बातचीत के जरिए निकाला जाना चाहिए।
संसद में अकले बिल पारित करने की स्थिति में नहीं है ओली सरकार
इसके बाद 20 मई को नेपाल सरकार ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया। इस नक्शे में उसने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाली सीमा में दर्शाया। इसके बाद पिछले रविवार को नेपाल की कानून मंत्री शिवमाया तुम्बाहाम्फे ने संविधान संशोधन बिल पेश कर संसद में पेश करके नए राजनीतिक नक्शे को कानूनी मान्यता दिलाने की कोशिश की। इस संविधान संशोधन बिल को पास करवाने के लिए सरकार को दो तिहाई मत की आवश्यक्ता होगी और मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के सहयोग के वो इसे पास करा पाने की स्थिति में नहीं है।