- 1 जून, 2001 को नेपाल के शाही परिवार के 11 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी
- तत्कालीन राजकुमार दीपेंद्र पर इस वारदात को अंजाम देने का आरोप लगा था
- बताया गया कि विवाद दीपेंद्र की पसंद की शादी करने की जिद को लेकर था
काठमांडू : नेपाल के इतिहास में 1 जून, 2001 की तारीख को काले अक्षरों में दर्ज है। दो दशक पहले यही वह दिन था, जब राजधानी काठमांडू के नारायणहिति राजमहल में राजपरिवार के 11 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इसका आरोप युवराज दीपेन्द्र पर लगा। कहा गया कि अपनी मां, पिता और भाई सहित परिवार के सदस्यों की हत्या कर खुद को भी गोली मार ली।
नेपाल के उस शाही हत्याकांड को 20 बरस गुजर चुके हैं, लेकिन आज भी इसे लेकर रहस्यों पर से पूरी तरह पर्दा नहीं हट पाया है। इस हत्याकांड ने पूरी दुनिया को दहला दिया था, जिसमें शाही खानदान का लगभग सफाया हो गया था। इसे लेकर समय-समय पर कई कहानियां सामने आईं, जिसकी वजह से यह हत्याकांड एक पहेली की तरह बन गया। इसमें लव-स्टोरी का एंगल भी सामने आया।
लव स्टोरी बनी रंजिश की वजह!
कहा गया कि नेपाल का तत्कालीन राजकुमार दीपेंद्र जिस लड़की से प्यार करता था और उससे शादी करना चाहता था, वह शाही घराने को मंजूर नहीं थी। राजकुमार दीपेंद्र की मां और नेपाल की रानी ऐश्वर्या को कहीं से भी यह शादी शाही शान-ओ-शौकत के अनुकूल नजर नहीं आ रही थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि इसके लिए उन्हें तथा राजपरिवार को मनाने की सारी कोशिशें बेकार गईं।
नेपाल के तत्कालीन शाही परिवार के उत्तराधिकारी युवराज पारस ने इस हत्याकांड को लेकर एक इंटरव्यू में कहा था कि दीपेंद्र अपनी पसंद की महिला से शादी करना चाहते थे, लेकिन शाही परिवार को यह मंजूर नहीं था। इससे वह बहुत नाराज थे। हालांकि नाराजगी में वह इतना बड़ा कदम उठा लेंगे और राजा बीरेंद्र सहित शाही परिवार का यूं खात्मा कर डालेंगे, किसी को शायद ही इसका भाान था।
नेपाल के अंतिम राजा ज्ञानेंद्र के बेटे पारस ने यह भी कहा कि दीपेंद्र ने इस वारदात के एक साल पहले शाही परिवार के तख्ता पलट का भी जिक्र किया था, लेकिन तब किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया था। इस हत्याकांड के बाद बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र ही नेपाल के राजा बने थे और तब इस हत्याकांड की साजिश को लेकर ज्ञानेंद्र पर भी उंगली उठी थी, लेकिन सरकारी जांच में युवराज दीपेंद्र को दोषी पाया गया।
सिंधिया परिवार से भी है कनेक्शन
युवराज दीपेंद्र जिस लड़की देवयानी राणा से शादी करना चाहते थे, उसका ताल्लुक भारत के सिंधिया परिवार से भी रहा है। दअरसल, माधवराव सिंधिया की बड़ी बहन ऊषा राजे सिंधिया की शादी नेपाल के राणा राजघराने में हुई थी। देवयानी उनकी बेटी हैं। यूं तो देवयानी का ताल्लुक भी राजघराने से था, लेकिन दीपेंद्र की मां को यह रिश्ता मंजूर था। बार-बार के इनकार ने युवराज को गुस्से से भर दिया था।
ताबड़तोड़ बरसाई गोलियां
बताया जाता है कि 1 जून, 2001 की रात जब सभी डिनर के लिए एकत्र हुए थे, तब भी युवराज ने अपनी शादी का मसला उठाया था और जब एक बार फिर इनकार ही मिला तो गुस्से से आग-बबूला युवराज उस वक्त तो सोने की बात कहकर वहां से चला गया, लेकिन कुछ ही देर बाद घातक हथियारों से लैस होकर लौटा और फिर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते हुए वहां मौजूद लोगों को मौत के घाट उतार दिया और खुद को भी गोली मार ली।
आज भी अनसुलझे हैं कई सवाल
इस हत्याकांड के बाद कई तरह की कहानियां सामने आईं। नेपाल के विदेश मंत्री रहे चक्र बासटोला ने इसके पीछे बड़ी साजिश का जिक्र किया था तो यह भी कहा गया कि दीपेंद्र के भेष में दो नकाबपोशों ने गोलियां बरसाईं। हालांकि ये नकाबपोश कौन थे, इसका रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाया।
इस हत्याकांड को लेकर राजा बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र, उनके बेटे प्रिंस पारस की भूमिका पर उंगली उठी थी। कहा गया कि हत्याकांड में बीरेंद्र के रिश्तेदारों की तो जान गई, लेकिन ज्ञानेंद्र के रिश्तेदार बच गए। ज्ञानेंद्र खुद उस रात महल में नहीं थे तो प्रिंस पारस को शाही महल में होने के बावजूद खरोंच तक नहीं आई। इसे राजा बनने और गद्दी हथियाने की साजिश के तौर पर भी देखा गया। कुल मिलाकर, इस वारदात को लेकर आज भी कई सवाल हैं, जो अनसुलझे हैं।