- नेपाल ने अपने नए विवादित नक्शे को यूएन और गूगल को भेजने की तैयारी की है
- नेपाल के एक मंत्री का कहना है कि नए नक्शे को प्रकाशन अंग्रेजी में हो रहा है
- भारत ने इस नक्शे को 'दावों का कृत्रिम विस्तार' बताकर खारिज कर दिया है
नई दिल्ली : कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने नए नक्शे में शामिल कर भारत के साथ अपना रिश्ता तनावपूर्ण बना चुका नेपाल अब आपसी संबंधों को और निचले स्तर पर ले जाने में जुट गया है। नेपाल अपने इस नए नक्शे को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और गूगल को भेजने की तैयारी में है। नेपाली मीडिया में शनिवार को यह जानकारी दी गई। भारत लंबे समय से इन तीनों इलाकों को अपना मानता है लेकिन गत 13 जून को नेपाल की संसद ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नए नक्शे में शामिल करने वाले संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई।
नए नक्शे को भारत ने खारिज कर दिया है
नेपाल के इस कदम को भारत ने 'दावों का कृत्रिम विस्तार' बताकर खारिज कर दिया। भारत सरकार ने कहा कि संबंधों को मौजूदा हालात में पहुंचाने के लिए नेपाल जिम्मेदार है और अब बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी भी उसी की बनती है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों की मानें तो प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार अपने इस कदम से भारत पर दबाव बनाना चाहती है। रिपोर्टों के मुताबिक केपी ओली सरकार इस नए नक्शे का प्रकाशन अंग्रेजी में कराने की तैयारी में जुटी है। इसके बाद वह अपने संशोधित नक्शे को गूगल, संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजेगी।
यूएन औऱ गूगल को भेजेगा अपना नक्शा
स्थानीय मीडिया ने भूमि प्रबंधन मंत्री पद्म अर्याल के हवाले से कहा, 'हम जल्द ही कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को दर्शाने वाले अपने नए नक्शे को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास भेजेंगे।' मंत्री ने आगे कहा कि नेपाल सरकार कालापानी, लिपुलेख एवं लिंपियाधुरा में हुए 'अतिक्रमण' पर एक किताब प्रकाशित कराने की तैयारी कर रही है लेकिन इसके पहले सरकार नए नक्शे का प्रकाशन अंग्रेजी में कराने के बाद उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास भेजना चाहती है।
राजनाथ सिंह ने किया सड़क का उद्घाटन, नेपाल ने किया विरोध
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गत आठ मई को लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचुला से जोड़ने वाले सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग का उद्घाटन किया जिसके बाद नेपाल ने अपनी आपत्ति जताई। सड़क के उद्घाटन के बाद नेपाल ने इन इलाकों को अपने क्षेत्र में होने का दावा किया। भारत ने कहा कि उसने सड़क निर्माण का कार्य पूरी तरह से अपने हिस्से में किया है।
भारत पर दबाव बनाना चाहता है नेपाल
सड़क का उद्घाटन होने के बाद नेपाल ने अपना नया नक्शा प्रकाशित किया। नेपाल के इस कदम पर भारत की ओर से तीखा विरोध जताया गया। भारत ने नेपाल को क्षेत्रीय दावों का 'कृत्रिम विस्तार' न करने की हिदायत दी। नया नक्शा सामने आने के बाद नेपाल के पीएम ओली ने कहा कि वह तथ्यों एवं दस्तावेजों के आधार पर राजनयिक प्रयासों एवं बातचीत के जरिए कालापानी विवाद का हल ढूंढेंगे।