- उत्तर कोरिया लगातार दावे कर रहा है कि उसके यहां कोविड-19 का कोई केस नहीं है
- अब उसने कोविड से बचाव में अहम समझे जा रहे वैक्सीन की पेशकश भी ठुकरा दी है
- किम जोंग-उन के नेतृत्व वाले उत्तर कोरिया ने हाल ही में रूस की ऐसी पेशकश भी ठुकरा दी है
प्योंगयांग : कोविड-19 महामारी वैश्विक स्तर पर फैली हुई है। दुनिया में शायद ही कोई देश बचा है, जहां इस बीमारी ने दस्तक न दी हो। लेकिन उत्तर कोरिया लगातार यह दावा कर रहा है कि वह अब तक इस बीमारी से अछूता है। बीमारी से बचने के लिए उसने बीते करीब डेढ़ साल से अपनी सीमा भी सील कर रखी है और यहां तक कि उसने कोविड वैक्सीन को लेकर कई देशों की पेशकश भी ठुकरा दी है।
रूस की पेशकश भी ठुकराई
उत्तर कोरिया में पिछले दिनों बॉर्डर सील होने और कई अन्य कारणों से खाद्यान्न संकट पैदा होने की भी कई रिपोर्ट्स सामने आई थी, जिसे देखते हुए रूस सहित कई देशों ने उसे वैक्सीन की पेशकश की है, लेकिन उत्तर कोरिया अपनी सीमाएं खोलने को तैयार नहीं है और वायरस को बाहर ही रखने के मकसद से वह ऐसे सभी प्रस्तावों को नकारता जा रहा है। उसने हाल ही में रूस की ऐसी पेशकश भी खारिज कर दी है।
बॉर्डर सील होने की वजह से चीन के साथ उत्तर कोरिया के व्यापार पर भी असर पड़ा है, जबकि उत्तर कोरिया खाद्य सामग्री, फर्टिलाइजर और ईंधन के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर है। उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग-उन ने पिछले महीने ही देश के लोगों से कहा था कि वे 'गंभीर नतीजों' के लिए तैयार रहें। उन्होंने उत्तर कोरिया में खाद्य संकट और स्थिति तनावपूर्ण होने की बात भी स्वीकार की थी।
क्या है उत्तर कोरिया का डर?
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन की पेशकश को नकारने के पीछे एक बड़ी वजह उत्तर कोरया का वह डर भी है, जिसमें उसे लगता है कि इसके जरिये विदेशियों के आने और टीकाकरण के जरिये उस पर निगरानी किए जाने का डर भी है। उत्तर कोरिया के लोगों में वैक्सीन को लेकर एक हिचकिचाहट और यहां रेफ्रिजेरेशन जैसी सुविधाओं तथा परिवहन से जुड़े इंतजामों की कमी को भी समझा जा रहा है।
यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया ने पिछले महीने ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक रिपोर्ट सौंपकर बताया था कि उसने 10 जून तक 30,000 से अधिक लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जांच की है, लेकिन देश में अभी तक संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। चीन के साथ लगने वाली उत्तर कोरिया की सीमा और यहां के औसत स्वास्थ्य ढांचे को देखते हुए विशेषज्ञ हालांकि इस पर संदेह जताते रहे हैं।