- बाल मजदूरी को लेकर उत्तर कोरिया एक बार फिर सवालों के घेरे में है
- उत्तर कोरिया में बच्चों से खदानों में काम करवाने को लेकर रिपोर्ट आई है
- बच्चों से कारखानों, खेतों और जंगलों में काम करवाया जा रहा है
प्योंगयांग : उत्तर कोरिया पर लंबे समय से जबरन बाल मजदूरी करवाने का आरोप लगता रहा है, जिससे वह लगातार इनकार करता रहा है। अब हाल ही में उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया में खदानों और खेतों में बच्चों से काम करवाने को लेकर रिपोर्ट आई है, जिसने एक बार फिर उत्तर कोरिया में बाल मजदूरी को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं, जिसके लिए अमेरिका और मानवाधिकार संस्थान अरसे से उस पर उंगली उठाते रहे हैं।
बच्चों से काम करवाए जाने को लेकर कोरियाई सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सैकड़ों बच्चों ने 'विवेक और साहस के साथ अपने युवावस्था के आरंभ में' देश के लिए मजदूरी करने के काम को चुना। बीते सप्ताह कोरिया की मीडिया में इस संबंध में ऐसी कई रिपोर्ट आई, जिसमें यह दावा भी किया गया है कि करीब 700 अनाथ बच्चों ने 'अपनी इच्छा से' कारखानों, खेतों और जंगलों में काम करने का फैसला किया है।
सवालों के घेरे में उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया बाल श्रम की जिस बात को गौरव के साथ बता रहा है, उसे लेकर उसे हमेशा सवालों के घेरे में खड़ा किया जाता रहा है। 2020 में अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में उत्तर कोरिया पर 'बाल श्रम के सबसे बदतर तरीके' के चलन का आरोप लगाया था और कहा गया था कि यहां स्कूली बच्चों को प्रमुख सड़क मार्गों से बर्फ हटाने या उत्पाद लक्ष्यों को पूरा करने जैसी 'खास परियोजनओं' में लगाया जाता है।
इसमें 16-17 के किशोरों को 10 साल के लिए यूथ कंस्ट्रक्शन ब्रिगेड में शामिल किए जाने, उन्हें शारीरिक, मानसिक चोट दिए जाने के साथ-साथ उनमें कुपोषण, थकान और शारीरिक विकास की कमियों का भी जिक्र किया गया था। हालांकि उत्तर कोरिया ने इन आरोपों से बार-बार इनकार किया। अब एक बार फिर वह सवालों के घेरे में है, जिसमें उसने बच्चों द्वारा 'अपनी इच्छा से' खदानों और खेतों में काम करने की बात कही है।