- ओआईसी के सदस्य देशों ने कहा था कि मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है, जमात के सदस्यों का था जिक्र
- कोरोना की आड़ में मुसलमानों के बुनियादी अधिकारों पर हो रहा है हमला
- ओआईसी को भारत की खरी खरी, नीतियों के बनाने और क्रियान्वयन में धर्म और मजहब जाति रूप और रंग को कोई जगह नहीं
नई दिल्ली। द आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने हाल ही में कहा था कि भारत में इस्लामोफोबिया का हौव्वा दिखाकर मुस्लिम समाज को परेशना किया जा रहा है और इसके खिलाफ मुस्लिम देशों को आवाज बुलंद करनी चाहिए। दरअसल ओआईसी के मुल्कों ने यह मुद्दा जब उठाया जब कोरोना के लिए जमातियों के नाम सामने आने लगे। लेकिन मुस्लिम देशों के संगठन के इस बयान पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए भारत स्वर्ग की तरह है और पीएम नरेंद्र मोदी जब बात करते हैं तो वो देश की 130 करोड़ जनता की बात करते हैं, उनकी नजर में किसी कौम में फर्क नहीं है।
भारत ने ओआईसी के मुल्कों को दी नसीहत
बताया जा रहा है कि भारत की तरफ से आधिरकारिक बयान भी आया है कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की जरूरत नहीं है, कोरोना संक्रमण के लिए किसी खास जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है, जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि भारत में नियम कानून और नीतियां सबके लिए एक समान बनाई जाती है। मुस्लिम समाज में न बहुत से ऐसे समूह हैं जो संपन्न हैं।
ओमान की राजकुमारी ने भी दी सफाई
इन सबके बीच ओमान की राजकुमारी की तरफ से सफाई आई है। वो कहती हैं कि जिस ट्विटर हैंडल से भारत के बारे में जो कुछ कहा गया था वो उनका नहीं है। उन्होंने कहा कि यह जानकारी सामने आ रही है कि भारत और खाड़ी देशों में दरार डालने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हमारी अपील है कि खाड़ी के देश इस तरह के कुटिल चालों में न फंसे।
भारत के बारे में उटपंटाग बातों का था जिक्र
अब सवाल यह है कि आखिर ओमान की राजकुमारी को सफाई देनी क्यों पड़ गई। दरअसल किसी शख्स ने ओमान की राजकुमारी के फर्जी ट्विटर हैंडल से यह ट्वीट किया कि ओमान अब भारतीय कामगारों को निकाल रहा है। ओमान के साथ साथ दूसरे खाड़ी मुल्कों में भारतीयों के लिए दिक्कत होगी। इसके अलावा जिस तरह से भारत में मुसलमानों के साथ सलूक किया जा रहा है उसके बदले में भारतीय सामनों के आयात को भी रोक देना चाहिए।