- जी-7 शिखर सम्मेलन 11-13 जून तक ब्रिटेन में हो रहा है
- पीएम मोदी जी-7 के आउटरीच सत्र में ऑनलाइन शामिल होंगे
- कोरोना का वैश्विक संकट इसमें चर्चा का अहम मुद्दा रहने वाला है
लंदन : दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण के बीच लोगों के जेहन में यह सवाल लगातार बना हुआ है कि आखिर यह वायरस आया कहां से? अमेरिका सहित कई देश लंबे से इसकी मांग करते रहे हैं कि इस दिशा में नए सिरे से जांच किए जाने की जरूरत है। भारत भी इसके पक्ष में रहा है। अब जी-7 के देश भी इस दिशा में एकजुट होते नजर आ रहे हैं।
जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन आज (शुक्रवार, 11 जून) से ब्रिटेन के कॉर्नवाल में शुरू होने जा रहा है, जिसमें दुनिया की सात प्रमुख आर्थिक शक्तियां जुटेंगी। मीटिंग को लेकर एक लीक ड्राफ्ट कम्युनिक के अनुसार, जी-7 के देश- अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और कनाडा विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में नए सिरे से इसकी निष्पक्ष व पारदर्शी जांच कराने के पक्ष में हैं कि आखिर यह वायरस आया कहां से?
आउटरीच सत्र में शामिल होंगे पीएम मोदी
जी-7 शिखर सम्मेलन 11-13 जून तक चलने वाला है, जिसमें ब्रिटेन की ओर से भारत को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसमें शामिल होना था। लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री की यात्रा टाल दी गई है। हालांकि वह 12-13 जून को जी-7 के वर्चुअल तरीके से आयोजित होने वाले जी7 आउटरीच सत्र में शामिल होंगे।
सवालों के घेरे में चीन
ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट में लीक ड्राफ्ट कम्युनिक के हवाले से कहा गया है कि जी-7 के नेता कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर WHO की अगुवाई में एक नए, निष्पक्ष व पारदर्शी जांच की मांग करने वाले हैं। जी-7 की ओर से इस दिशा में संभावित कदम उठाए जाने की जानकारी ऐसे समय में आ रही है, जबकि अमेरिका के साथ-साथ भारत ने भी हाल ही में एक बार फिर इस पर जोर दिया है कि वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए नए सिरे से जांच की जरूरत है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी को 90 दिनों के भीतर इसकी जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था कि वायरस की उत्पत्ति आखिर कहां से हुई है? अमेरिका के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन ने इसे राजनीति करार दिया था, लेकिन इस बीच कई रिपोर्ट्स ऐसी आईं, जिसने चीन पर एक बार फिर उंगली उठाई। भारत ने भी ऐसी मांग का समर्थन किया था कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर जानकारी सामने आनी चाहिए और इसके लिए जांच जरूरी है।