जेनेवा : दुनियाभर में 28.3 लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस संक्रमण कहां से आया, यह सवाल का जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। कोविड-19 का पहला केस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में आधिकारिक तौर पर दर्ज किया गया था और तब से अब तक इस बारे में पता नहीं लगाया जा सका है कि यह संक्रमण आखिर आया कहां से?
चीन इसे लेकर हमेशा सवालों के घेरे में रहा। लेकिन वुहान में पहला केस दर्ज किए जाने के बावजूद चीन इस बात को मानने से इनकार करता रहा कि यह जानलेवा वायरस दुनियाभर में उसके यहां से ही फैला। इस बीच कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर कई थ्योरी सामने आई। इसके लिए चमगादड़ से लेकर पैंगोलिन जैसे जानवरों को जिम्मेदार ठहराया गया तो चीन की लेबोरेट्री से भी 'चूक' के परिणामस्वरूप इस जानलेवा वायरस की उत्पत्ति की बातें सामने आईं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी जांच शुरू की तो उम्मीद जगी थी कि इसका कुछ ठीक-ठीक पता चल सकेगा कि यह वायरस आखिर आया कहां से, जिसने देखते ही देखने दुनियाभर में महामारी की शक्ल ले ली। लेकिन अब डब्ल्यूएचओ की जांच का जो ड्राफ्ट सामने आया है, उससे जाहिर होता है कि इस मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा जा सका है, बल्कि जहां से शुरुआत हुई थी, घूम-फिरकर सब फिर से वहीं आ गया है।
34 विशेषज्ञों ने की थी जांच
डब्ल्यूएचओ की टीम ने कोरोना वायरस संक्रमण की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए इस साल जनवरी में जांच शुरू की थी, जिसके लिए चीन ने पहले तो आनाकानी की, लेकिन बाद में वह फिर तैयार हो गया। 34 विशेषज्ञों की टीम ने 14 दिनों तक चीन के वुहान का दौरा किया और अस्पताल और हुनान के उस बाजार में भी जाकर इस बारे में जांच की, जिसके बारे में कहा जाता है कि कोविड-19 का केस सबसे पहले यहीं के सी-फूड मार्केट से निकला था और जिसकी गिनती एशियाई के बड़े सी-फूड मार्केट्स में की जाती है। विशेषज्ञों की इस टीम में 17 चीनी और 17 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल रहे। लेकिन करीब दो सप्ताह की जांच के बाद भी डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों के हाथ कुछ भी नहीं लगा है।
डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों की टीम 14 जनवरी को वुहान पहुंची थी, जिसके बाद दो सप्ताह तक उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी जांच शुरू की, जो 10 फरवरी तक जारी रही थी। इस दौरान वे वुहान में अस्पतालों, बाजारों, लेबोरेट्री सहित कई जगह गए, लेकिन उन्हें वायरस के स्रोत को लेकर कुछ भी ठोस पता नहीं चल सका। उनका कहना है कि इस घातक वायरस के स्रोत का अब तक पता नहीं चला है और इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए अभी आगे और रिसर्च करने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडहानोम ग्रेब्रेयेसुस के मुताबिक, 'हमें अभी वायरस के स्रोत की जानकारी नहीं मिली है। लेकिन यह रिपोर्ट अंत नहीं है, बल्कि एक अच्छी शुरुआत है।
क्या कहती है WHO की ड्राफ्ट रिपोर्ट
डब्ल्यूएचओ की इस 120 पेज की ड्राफ्ट रिपोर्ट में वायरस की उत्पत्ति और उसके इंसानों में फैलने के संबंध में चार अनुमान जताए गए हैं। इसके मुताबिक, वायरस किसी जानवर से इंसान में पहुंचने की संभावना है। ये चमगादड़, पैंगोलिन या मिंक हो सकते हैं। दूसरी अहम बात जानवरों से इंसानों में संक्रमण फैलने के बीच में एक और जीव-जंतु के होने की संभावना है। यानी संभव है कि पहले जिस जीव-जंतु को संक्रमण हुआ हो, उसने किसी अन्य जानवर को संक्रमित किया और फिर उस जानवर ने इंसान को संक्रमित किया हो।
कोरोना वायरस की उत्तपत्ति से संबंधित तीसरा अनुमान खाने के सामान से इंसानों में वायरस के पहुंचने का है, जिसकी बात चीन समय-समय पर उठाता रहा है। चीन कहता रहा है कि यह वायरस संभवत: आयातित फ्रोजन फूड के माध्यम से उसके यहां पहुंचा हो। बीते कुछ समय में चीन ने अपने यहां ऐसे कुछ संक्रमित कंटेनर्स मिलने की बात बार-बार दुनिया के सामने रखी है। हालांकि डब्ल्यूएचओ का ड्राफ्ट खाने से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के संबंध में कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं।
रिपोर्ट में चौथी अहम बात प्रयोगशाला से वायरस फैलने के बारे में है, जिसे लेकर ऐसा अनुमान जताया जाता रहा है कि संभवत: किसी चूक की वजह से वायरस वहां के कर्मचारियों में फैला और फिर अन्य लोगों तक पहुंचा। इस संबंध में डब्ल्यूएचओ की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि यरस जीनोम के विश्लेषण के आधार पर विशेषज्ञ पहले ही इसकी संभावना से इनकार कर चुके हैं। रिपोर्ट में हालांकि यह स्वीकार किया गया है कि प्रयोगशालाओं में ऐसी दुर्घटनाएं दुर्लभ होती हैं और इस संबंध में और जांच किए जाने की जरूरत है।