इस्लामाबाद : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व चीफ असद दुर्रानी एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में दायर अपनी अर्जी में उनका नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) से बाहर न करने की अपील की है। आईएसआई के पूर्व प्रमुख दुर्रानी ने नो-फ्लाई लिस्ट से अपना नाम हटवाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि वह काम से विदेश जाना चाहते हैं। जिओ टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्राल ने अपने जवाब में कहा है कि उसके पास इस बात के प्रमाण हैं और उनसे जाहिर होता है कि वह साल 2008 से पाकिस्तान विरोधी तत्वों एवं भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एवं एनालिसिस विंग (रॉ) के साथ संपर्क में हैं।
ईसीएल की सूची में दुर्रानी का नाम शामिल
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय के कहने पर दुर्रानी का नाम साल 2019 में ईसीएल की सूची में शामिल किया गया। सूत्रों का कहना है कि दुर्रानी की अर्जी पर फरवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई शुरू होगी। बता दें कि दुर्रानी ने रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दौलत के साथ मिलकर 'द स्पॉय क्रॉनिकल्स' नाम से एक किताब लिखी है। इस किताब के छपने के बाद उनके खिलाफ एक जांच शुरू हुई। मई 2018 में दुर्रानी को पाकिस्तानी सेना मुख्यालय में तलब किया गया और किताब में जाहिर उनके विचारों के बारे में पूछताछ की गई।
किताब में पाक सेना के बारे में किए हैं खुलासे
पाकिस्तानी सेना के आईएसपीआर ने साल 2019 में कहा कि रॉ के पूर्व चीफ के साथ किताब लिखकर दुर्रानी ने सेना के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है। अपनी अर्जी के खिलाफ रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश की गई दलील पर दुर्रानी ने कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है। उका कहना है कि यह मामला पहले ही कोर्ट में है और इसका निपटारा न्यायिक प्रक्रिया के द्वारा होना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि इस केस की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में शुरू होगी और दुर्रानी इस मामले में अपनी पैरवी खुद करेंगे।
इसलिए पाक सेना के निशाने पर आए दुर्रानी
दरअसल, इस किताब में दुर्रानी ने पाकिस्तान के बारे में कई सनसनीखेज खुलासे किए। इन खुलासों से पाकिस्तानी सेना की काफी किरकिरी हुई। इस किताब में कश्मीर, बुरहान वानी, हाफिज सईद, कारगिल युद्ध, कुलभूषण जाधव, बलूचिस्तान, सर्जिकल स्ट्राइक, ओसामा बिन लादेन समेत कई मुद्दों का जिक्र है। यही नहीं, दुर्रानी का कहना है कि कुलभूषण जाधव के केस को पाकिस्तान में ठीक ढंग से नहीं संभाला गया। समझा जाता है कि इन मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए दुर्रानी पाकिस्तानी सेना के निशाने पर आ गए।