बीजिंग : चीन ने शुक्रवार को कहा कि भारत के साथ सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और तनावपूर्ण संबंधों में सुधार का विदेश मंत्री एस जयशंकर का सुझाव सराहनीय है जिससे पता चलता है कि नयी दिल्ली बीजिंग के साथ संबंधों को महत्व देता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'हमने मंत्री जयशंकर की टिप्पणियों का संज्ञान लिया है।'
'सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों से न जोड़ा जाए'
उन्होंने चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन में जयशंकर के ऑनलाइन संबोधन के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही। झाओ ने कहा, 'उन्होंने (जयशंकर) भारत-चीन संबंधों में सुधार के महत्व पर जोर दिया। इससे पता चलता है कि भारतीय पक्ष चीन के साथ संबंधों को महत्व देता है, हम इसकी सराहना करते हैं।'
लिजियान ने कहा, 'इस बीच, हम इस बात पर जोर देते हैं कि सीमा मुद्दे को संपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों से नहीं जोड़ा जाएगा। संबंधों को आगे बढ़ाने के वर्षों पुराने प्रयास के माध्यम से हमने यह महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया है।' उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि मतभेदों को उचित रूप से सुलझाने, व्यावहारिक सहयोग को बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को वापस पटरी पर लाने के लिए भारतीय पक्ष हमारे साथ काम करेगा।'
एस जयशंकर ने रखे थे 8 सिद्धांत
जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों को पटरी पर लाने के लिए गुरुवार को आठ सिद्धांत रेखांकित किए थे जिनमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर सभी समझौतों का सख्ती से पालन, आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा एशिया की उभरती शक्तियों के रूप में एक-दूसरे की आकांक्षाओं को समझना शामिल है। उन्होंने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन एवं सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा था कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविकता नहीं है। उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल पांच मई से सैन्य गतिरोध बरकरार है। कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद भी अभी तक मुद्दे का कोई हल नहीं निकला है।