- हर साल पांच फरवरी को 'कश्मीर एकजुटता दिवस' मनाता है पाकिस्तान
- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग करता है
- विशेषज्ञ का दावा है कि पाक कि दिलचस्पी कश्मीरियों के 'आत्मनिर्णय' में नहीं
नई दिल्ली : कश्मीर में जनमत संग्रह और वहां के लोगों के 'आत्मनिर्णय' का मुद्दा बार-बार उठाने वाले पाकिस्तान की असलियत भारत ही नहीं दुनिया भी पहचानती है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की असली मंशा का खुलासा अमेरिकी विदेश नीति से जुड़े एक विशेषज्ञ ने किया है। कश्मीरी लोगों के 'आत्मनिर्णय' के पाकिस्तान की दलील को खारिज करते हुए अमेरिकी विदेश नीति के विशेषज्ञ सेठ ओल्डमिक्सन ने कहा कि इस देश की दिलस्चपी यहां के लोगों के 'आत्मनिर्णय' के पक्ष में नहीं है बल्कि वह कश्मीर को भारत से अलग करना चाहता है।
'कश्मीर को भारत से अलग करने की है पाक की मंशा'
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक ओल्ड मिक्सन ने अपने एक ट्वीट में मंगलवार को कहा, 'पाकिस्तान की दिलचस्पी इस बात में नहीं है कि कश्मीर के लोग 'आत्मनिर्णय' करें बल्कि उसकी मंशा कश्मीर को भारत से अलग करने की है। यही कारण है कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर के नेताओं से निष्ठ के शपथपत्र पर हस्ताक्षर कराता है।' दरअसल, सीजे वेरलेमन ने 'बॉयलइन टाइम्स' में भारत विरोध एक लेख लिखा है। ओल्डमिक्सन का यह ट्वीट उसी लेख के जवाब में है।
कश्मीर में जनमत संग्रह का मुद्दा उठाता है पाक
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर में जनमतसंग्रह और 'आत्मनिर्णय' का मुद्दा उठाता आया है लेकिन दुनिया उसकी असलियत समझती है और उसके झांसे में नहीं आती। यही नहीं पाकिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं पर से लोगों को ध्यान भटकाने के लिए समय समय पर कश्मीर का मुद्दा उछालता रहता है। इस समय इमरान खान की सरकार महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था जैसी कई समस्याओं एवं चुनौतियों से घिरी हुई है। इन मुद्दों को लेकर पाकिस्तानी जनता में इमरान सरकार के प्रति आक्रोश है। समझा जाता है कि देश के वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इमरान सरकार ने एक बार फिर कश्मीर का राग छेड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का देता है हवाला
पाकिस्तान हर साल पांच फरवरी को 'कश्मीर एकजुटता दिवस' मनाता है। इस मौके पर इमरान खान ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'पांच जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र ने एक निष्पक्ष जनमत संग्रह के जरिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया। हम संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्य देशों को इस बात की याद दिलाने के लिए इस दिन को मनाते हैं। इसके जरिए हम बताते हैं कश्मीरी लोगों के प्रति उनकी ओर से किया हुआ वादा अभी पूरा नहीं हुआ है।'
यूएन ने जनमत संग्रह के लिए रखी है शर्त
दरअसल, जनमत संग्रह की बात करने वाला पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की पूरी बात नहीं बताता। वह लोगों को गुमराह करने के लिए आधी-अधूरी कहानी पेश करता आया है। जनमत संग्रह कराने से पहले संयुक्त राष्ट्र ने कई शर्तें रखी हैं। उनमें से एक शर्त यह भी है कि पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर को पहले खाली करना होगा और अपनी सेना वहां से हटानी होगी। लेकिन पाकिस्तान यह शर्त बार-बार भूल जाता है।