- इमरान खान ने अगस्त 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी
- क्रिकेट से सियासत में उतरे इमरान खान को लंबे समय बाद सफलता मिली थी
- शपथ-ग्रहण के दौरान इमरान खान उर्दू के कई शब्दों पर बार-बार अटके
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आज (शनिवार, 6 मार्च) नेशनल असेम्बली में विश्वास प्रस्ताव का सामना करने जा रहे हैं। हालिया सीनेट चुनाव में प्रतिष्ठित इस्लामाबाद सीट हारने के बाद उनपर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है। इस बीच उनके सियासी सफर पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि लंबे संघर्ष के बाद उन्हें राजनीति में सफलता मिली। क्रिकेट से सियासत में उतरने वाले इमरान खान ने अगस्त 2018 में पाकिस्तान के 18वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
सियासी तौर पर इमरान खान के लिए यह एक बड़ी कामयाबी थी। वह एक अरसे से पाकिस्तान की राजनीतिक पिच पर जमे हुए थे। क्रिकेट से सियासत में उतरने वाले इमरान खान को सियासत में एक लंबी पारी खेलने के बाद यह सफलता मिली थी। ऐसे में उनके शपथ-ग्रहण पर देश-दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं। लेकिन शपथ-ग्रहण के दौरान उन्होंने ऐसी गलतियां कीं कि उस पर हर किसी की नजर गई और अंतत: उन्हें माफी मांगनी पड़ी। इसके लिए सोशल मीडिया पर उनकी खूब फजीहत भी हुई थी।
शपथ-ग्रहण में कई बार अटके इमरान खान
इमरान खान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने 19 अगस्त, 2018 को शपथ दिलाई थी। ऐवान-ए-सद्र (राष्ट्रपति भवन) में आयोजित समारोह में कई देसी-विदेशी मेहमान पहुंचे थे, जिनमें उनके भारतीय मित्र व इस समय कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी पहुंचे हुए थे। शपथ-ग्रहण के दौरान इमरान खान ने काले रंग की शेरवानी पहन रखी थी और हर किसी की नजरें उन पर ही थी। लेकिन जैसे ही राष्ट्रपति ने शपथ दिलानी शुरू की, इमरान खान उर्दू के कई शब्दों के उच्चारण पर अटक गए।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने शपथ-ग्रहण के दौरान जब 'रोज-ए-कयामत' (फैसले का दिन) कहा, तो खान ने इसे ठीक से सुना नहीं और इसका गलत उच्चारण 'रोज-ए-कियादत' (नेतृत्व का दिन) कर दिया, जिससे पूरे वाक्य का अर्थ ही बदल गया। बाद में पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने जब इस शब्द दोहराया, तो इमरान खान को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मुस्कुराते हुए 'सॉरी' बोलकर शपथ ग्रहण जारी रखा। लेकिन शपथ-ग्रहण के दौरान यह एकमात्र मौका नहीं था, जब इमरान खान को उर्दू के शब्द बोलने में दिक्कत हुई।
इमरान खान को झेलनी पड़ी थी आलोचना
प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान का यह शपथ-ग्रहण उर्दू में हुआ था, लेकिन पूरा शपथ-पत्र पढ़ना उनके लिए बेहद मुश्किल भरा रहा। उर्दू के कई शब्दों को बोलने में उन्हें परेशानी हुई, जिसकी वजह से उन्हें झेंप भी हुई। 'रोज-ए-कयामत' को जहां इमरान खान ने पहली बार में 'रोज-ए-कियादत' बोल दिया, वहीं 'ब-हैसियत खातिमम नबीही', 'बिला खौफ-ए-रियायत' जैसे शब्दों को बोलने में भी वह अटक गए। इसके लिए इमरान खान की खूब किरकिरी हुई थी और सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी जमकर क्लास लगाई थी। इस दौरान नर्वसनेस भी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा कि उन्हें इमरान खान का शपथ-ग्रहण के दौरान उर्दू के अल्फाजों पर यूं अटकना पसंद नहीं आया, खासकर ऐसे में जबकि वह एक मुसलमान हैं और पाकिस्तान में उर्दू बोला जाना आम है। वहीं कुछ लोगों ने यह कहकर इमरान खान के यूं शपथ-ग्रहण समारोह में उर्दू के शब्दों पर अटकने पर चुटकी ली कि क्या क्या पिछले वर्षों के मुकाबले प्रधानमंत्री का शपथ-पत्र बदला गया। बहरहाल, किसी तरह इमरान खान का शपथ-ग्रहण पूरा हुआ और वह पाकिस्तान के 18वें प्रधानमंत्री बने।