इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने पंजाब प्रांत में बड़े पैमाने पर फसलों को बर्बाद कर रहे टिड्डों की समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है। पंजाब प्रांत देश में कृषि उपज का मुख्य क्षेत्र है। पाकिस्तान बीते दशकों के सबसे बुरे कीट हमले का सामना कर रहा है। यह फैसला प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में लिया गया। इस बैठक में समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) को भी स्वीकृति दी गई, जिसके लिए 7.3 अरब रुपयों की जरूरत होगी।
बैठक में संघीय मंत्री और चार प्रांतों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्री खुसरो बख्तियार ने नेशनल असेंबली को स्थिति की गंभीरता के बारे में सूचित किया और संकट से निपटने के लिए संघीय एवं प्रांतीय सरकारों की ओर से अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक के दौरान प्रधानमंत्री को पूरी स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी गई। इसमें आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार हाफिज शेख भी शामिल थे।
बैठक को बताया गया कि खतरे से निपटने के लिए प्रांतीय एवं जिला स्तर पर संबंधित अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (एनडीएमए), प्रांतीय आपदा प्रबंधन अधिकारियों और संघीय एवं प्रांतीय विभागों को विभिन्न कार्य सौंपे गए हैं। प्रधानमंत्री खान ने इन कीटों के खात्मे के लिए संघीय स्तर पर फैसला लेने के लिए बख्तियार के नेतृत्व में उच्च स्तरीय समिति के गठन का आदेश दिया। प्रधानमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को पकी हुई फसलों के नुकसान के आधार पर तत्काल उपाय करने को कहा है।
'डॉन' की खबर में खान के हवाले से कहा गया है, 'खेतों एवं किसानों का संरक्षण सरकार की उच्च प्राथमिकता है। इसलिए, संघीय सरकार को राष्ट्रीय फसलों को बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए और संबंधित धड़ों को जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए।' बख्तियार ने सदन को सूचित किया कि यह पहली बार है, जब सिंध और पंजाब में हमले के बाद, टिड्डों का समूह खैबर पख्तूनख्वा में प्रवेश कर गया है। उन्होंने कहा, 'आगे और बर्बादी रोकने के लिए 7.3 अरब रुपये की जरूरत है।'
बख्तियार ने कहा, 'राष्ट्रीय आपदा की घोषणा स्थिति से निपटने के लिए जरूरी है, इसके अलावा स्थिति की निगरानी में संसद की भी भूमिका होनी चाहिए।' उन्होंने दावा किया कि सरकार काफी हद तक कपास और सर्दी की फसलों को बचाने में कामयाब रही है। साथ ही कहा कि टिड्डों के गायब होने में देरी के पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक कारण रहा है। उन्होंने कहा कि यह 1993 में पाकिस्तान के सामने आई स्थिति से बदतर है।
मंत्री ने कहा कि टिड्डी दल फिलहाल चोलिस्तान के पास पाकिस्तान-भारत सीमा पर मौजूद है और बताया कि टिड्डे सिंध और बलोचिस्तान से चोलीस्तान और नारा आए। बख्तियार ने कहा कि टिड्डे कुछ समय बाद ईरान चले जाते हैं लेकिन इस बार पाकिस्तान में संभवत: कम तापमान की वजह से वे अब भी पाकिस्तान में हैं। खबर में कहा गया कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नवाब यूसुफ तालपुर ने कहा कि 1993 में जब टिड्डों ने देश में हमला किया था तब स्थिति को सीमित संसाधनों के साथ चार दिन में संभाल लिया गया था।