इस्लामाबाद : पाकिस्तान में सीनेट चुनाव में वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख की हार से उपजे सवाल तो इमरान खान ने नेशनल असेंबली का विशेष सत्र बुला लिया और इसमें विश्वास मत जीतकर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की। पाकिस्तान की संसद के निम्न सदन 341 सदस्यीय नेशनल असेंबली में इमरान खान को जीत के लिए 172 वोटों की दरकार थी, लेकिन उनके पक्ष में 178 वोट पड़े।
नेशनल असेंबली में मिली इस जीत से इमरान खान पाकिस्तान की सियासत में और 'मजबूत' नेता बनकर उभरे। सदन में अपने भाषण के दौरान वह नवाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी पर जमकर बरसे और भ्रष्टाचार को लेकर उन पर तीखे वार किए। विश्वास मत से मिली 'ताकत' और नेशनल असेंबली में उनके भाषण से साफ संकेत मिल चुके हैं कि विपक्ष को लेकर उनकी रणनीति अब और उग्र होगी।
'जाली विश्वास मत'
पाकिस्तान की सियासत पर नजर रखने वाले जानकारों और वहां की मीडिया रिपोर्ट्स से भी जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ेगा। 11 पार्टियों के विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने पहले ही नेशनल असेंबली के इस विशेष सत्र का बहिष्कार किया था। पीडीएम के संयोजक मौलाना फजलुर्रहमान ने बाद में इमरान खान के विश्वास मत को 'जाली' कहा।
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ने जाली प्रधानमंत्री की सिफरिश पर जाली सेशन बुलाया। हमें पता है कि एजेंसियों ने किस तरह सांसदों से जबरन उनके वोट लिए।' पाकिस्तान में 2018 में हुए संसदीय चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए फजलुर्रहमान ने कहा, 'प्रधानमंत्री का 2018 का बहुमत भी जाली था और आज का विश्वास मत भी जाली है। हम इसे स्वीकार नहीं करते।'
संसद के बाहर धक्कामुक्की
नेशनल असेंबली में शनिवार को जब विश्वास मत के लिए विशेष सत्र की कार्यवाही चल रही थी, बाहर सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के समर्थकों और विपक्ष के कई नेताओं के बीच हाथापाई भी हुई, जिसे लेकर विपक्ष ने कड़े तेवर अख्तियार किए हैं। इस दौरान पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी, पूर्व गृहमंत्री अहसन इकबाल और पीएमएल-एन की नेता मरियम औरंगजेब के साथ भी धक्का-मुक्की हुई।
फजलुर्रहमान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर सरकार ने शराफ छोड़ी तो 'हम ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं।' वहीं पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने संसद के बाहर हुई घटना को 'सरकार की गुंडागर्दी' करार दिया है और कहा कि '22 करोड़ लोग' (पाकिस्तान की अवाम) इस सरकार को बदलने के लिए तैयार बैठे हैं।
सहयोगी खड़ी कर सकते हैं मुश्किल
विपक्ष के ये तेवर जहां इमरान के लिए नई चुनौतियों का इशारा करते हैं, वहीं आने वाले वक्त में इमरान खान के सहयोगी भी उनके लिए उनके लिए बड़ा 'सिरदर्द' बन सकते हैं और उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में कई ऐसी बातों का जिक्र है, जिनसे पता चलता है कि इमरान खान के सहयोगी सरकार में भागीदारी बढ़ाने और अहम मंत्रालयों को अपने जिम्मे लेने को लेकर उन पर दबाव बना रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन पीडीएम भी इमरान खान की सहयोगी पार्टियों को कई तरह के 'ऑफर' दे रही है। पाकिस्तानी अखबार 'एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट ने इमरान खान से सीनेट में डिप्टी चेयरमैन का पद मांगा है। इस बीच पीडीएम के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने भी एमक्यूएम के नेता खालिद मकबूल से मुलाकात कर उनसे पीडीएम का साथ देने की अपील की है।
26 मार्च को विपक्ष की रैली
पीडीएम ने सोमवार को एक बैठक भी बुलाई है, जिसमें सीनेट चुनाव के नतीजों और इसके बाद नेशनल असेंबली में इमरान खान के विश्वास मत हासिल करने के बाद पैदा हुए सियासी हालात पर चर्चा होगी। विपक्ष पहले ही 26 मार्च को इस्लामाबाद में रैली का ऐलान कर चुका है। उन्होंने इस्लामाबाद की चर्चित डी-चौक पर विरोध-प्रदर्शन की अनुमति मांगी है। इस पर इमरान सरकार का रुख क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी।