- पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियां लगातार 2018 के चुनाव में धांधली का मुद्दा उठा रही हैं
- विपक्षी दलों ने सेना पर देश के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप भी लगाया
- सैन्य प्रतिष्ठानों पर विपक्ष के आरोपों से प्रधानमंत्री इमराखान खान बौखला गए हैं
कराची : पाकिस्तान में पहली बार दो मुख्य विपक्षी पार्टियां शक्तिशाली सेना के खिलाफ खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने सेना पर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को सत्ता में लाने के लिए वर्ष 2018 के चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है। इससे पहले राजनीतिक नेता परोक्ष रूप से सैन्य प्रतिष्ठान के देश के राजनीतिक मामलों में दखल की ओर इशारा करते थे लेकिन पहली बार दोनों प्रमुख विपक्षी पार्टियों- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन)- ने सीधे तौर पर सेना की आलोचना की है।
पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ जो पिछले साल नवंबर से लंदन में हैं और भ्रष्टाचार के कई मुकदमों का सामना कर रहे हैं ने पहला हमला 'पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट' के उद्घाटन बैठक को संबोधित करते हुए किया। पिछले महीने इसका गठन विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री खान को सत्ता से बेदखल करने के लिए किया है। शरीफ ने सेना पर प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता में लाने के लिए वर्ष 2018 के आम चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्दी पहन कर राजनीति में हस्तक्षेप देश के संविधान के तहत देशद्रोह के बराबर है।
तिलमिलाए इमरान खान
उनके आरोपों से तिलमिलाए खान ने कहा कि शरीफ सेना और खुफिया सेवा का अपमान कर 'बहुत खतरनाक खेल खेल रहे हैं।' उन्होंने चुनाव में धांधली के आरोपों को आधारहरीन करार देते हुए खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने और हर बार कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। पहली बार वर्ष 1993 में राष्ट्रपति ने उन्हें पदच्युत किया। इसके बाद वर्ष 1993 में सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने उनका तख्ता पलट किया। वहीं तीसरी बार वर्ष 2017 में अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोपों में पदच्युत किया, जिसके बाद पूर्व क्रिकेटर इमरान खान ने 2018 में सत्ता संभाली।
बिलावल भुट्टो ने भी लगाए आरोप
शरीफ के बाद पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी शुक्रवार को सेना पर वर्ष 2018 के चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया। बिलावल ने चेतावनी दी कि आगामी गिलगित-बल्तिस्तान के असेंबली चुनाव में किसी तरह के हस्तक्षेप करने पर उनकी पार्टी इस्लामाबाद का घेराव और धरना सहित कड़ी प्रतिक्रिया देगी। 'डॉन' अखबार ने बिलावल को उद्धृत करते हुए लिखा, 'इस तरह की चीजें यहां तक कि जनरल जिया और जनरल मुशर्रफ की तानाशाही के दौरान भी नहीं देखी गई।'
उन्होंने कहा, 'मुझे आश्चर्य हो रहा है कि कैसे मतदान केंद्र के भीतर एक सैनिक और बाहर दूसरा तैनात कर सकते हैं। वह बहुत अजीब था। चाहे आपने (सैन्य प्रतिष्ठान) कुछ गलत किया हो या नहीं, आप पर आरोप लगेंगे और यह नहीं होना चाहिए।' बिलावल ने कहा, 'पीपीपी किसी को भी आगामी गिलगित-बाल्टिस्तान के चुनाव में जनादेश की चोरी करने की अनुमति नहीं देगी।'
विपक्ष के आरोपों पर सेना का जवाब
पाकिस्तान ने एक बार स्थगित किए जा चुके गिलगित-बाल्टिस्तान में असेंबली चुनाव 15 नवंबर को कराने की घोषणा की है। भारत के कड़े विरोध के बावजूद पाकिस्तान सैन्य कब्जे वाले क्षेत्र की स्थिति बदलने के लिए कदम बढ़ा रहा है। भारत ने पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया है कि गिलगित-बल्तिस्तान सहित पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश देश का अभिन्न अंग है।
पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने हाल में राजनीतिक पार्टियों को सलाह दी है कि वे उन्हें राजनीति में घसीटना और उनके खिलाफ आधारहीन आरोप लगाना बंद करें। प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को कहा कि विपक्ष की सेना के साथ असली समस्या उनका भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद अन्य एजेंसियों की तरह खुफिया एजेंसी आईएसआई पर नियंत्रण नहीं कर पाना है। गौरतलब है कि 20 सितंबर को 11 प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने तीन चरण में सरकार विरोधी आंदोलन चलाने की कार्य योजना के तहत पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का गठन किया था।