- अमेरिका ने लोकतंत्र पर दो दिन का एक वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन किया था
- इस सम्मेलन में भारत सहित 100 से ज्यादा देश शरीक हुए, चीन को न्योता नहीं था
- पाकिस्तान को भी मिला था निमंत्रण लेकिन उसने इस बैठक से दूरी बना ली
इस्लामाबाद : अमेरिका की ओर से आयोजित ऑनलाइन 'डेमोक्रेसी समिट' में पाकिस्तान ने हिस्सा नहीं लिया लेकिन अब उसे वाशिंगटन का भय सता रहा है। इस वर्चुअल सम्मेलन से अपनी गैरहाजिरी पर उसने सफाई पेश की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमैन को फोन पर बताया है कि इस सम्मेलन से पाकिस्तान ने दूरी क्यों बनाई। 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक कुरैशी ने शेरमैन को बताया है कि सम्मेलन से पाकिस्तान की दूरी बनाने का मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह किसी समूह में शामिल हो गया है अथवा अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों में उसकी कोई रुचि नहीं है।
चीन की वजह से सम्मेलन से दूर रहा पाक!
समझा जाता है कि लोकतंत्र पर आयोजित इस सम्मेलन में पाकिस्तान अपने 'सदाबहार दोस्त' चीन की वजह से शामिल नहीं हुआ। अमेरिका ने इस सम्मेलन में चीन को आमंत्रित नहीं किया जबकि बैठक के लिए ताइवान को न्योता भेजा गया। इस वर्चुअल सम्मेलन के लिए पाकिस्तान सहित 100 से ज्यादा देशों को बुलाया गया। पाकिस्तान दक्षिण एशिया के उन चार देशों में शामिल था जिसे बाइडन प्रशासन ने न्योता भेजा। इस सम्मेलन में शामिल न होने के पाकिस्तान के फैसले का चीन ने स्वागत किया और इस्लामाबाद को 'वास्तविक भाई' बताया।
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सम्मेलन का चीन ने विरोध किया
दरअसल, पाकिस्तान ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सम्मेलन में हिस्सा न लेने का उसका फैसला किसी दबाव में नहीं था लेकिन जानकार मानते हैं कि उसके इस फैसले के पीछे चीन का रुख था। इस सम्मेलन को लेकर चीन का जो विरोध था, वह विरोध पाकिस्तान को 'डेमोक्रेसी समिट' से पीछे हटने के लिए बाध्य किया।
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सम्मेलन पर चीन ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
चीन ने अमेरिका पर "विभाजन और टकराव को भड़काने" के लिए लोकतंत्र को "जनसंहार के हथियार" के रूप में इस्तेमाल करने का शनिवार को आरोप लगाया और बाइडन प्रशासन द्वारा आयोजित लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन की आलोचना की। बता दें कि दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 100 से अधिक नेताओं ने भाग लिया। यह सम्मेलन निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने, मानवाधिकारों की रक्षा और भ्रष्टाचार से लड़ने में प्रगति का मूल्यांकन करने के आह्वान के साथ शुक्रवार को संपन्न हुआ।