- मुस्लिम देशों के सबसे बड़े संगठन ओआईसी में कश्मीर पर चर्चा कराना चाहता है पाकिस्तान
- पहले भी ओआईसी में चर्चा कराने की कई बार असफल कोशिश कर चुका है पाकिस्तान
- ओआईसी कश्मीर मसले पर दखल देना नहीं चाहता, इसलिए टालता रहा है पाक का अनुरोध
इस्लामाबाद : कश्मीर मसले पर दुनिया भर में अपनी किरकिरी करा चुका पाकिस्तान अपने इस 'बेसुरा राग' को अलापने से बाज नहीं आ रहा है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के एक साल पूरा होने के मौके पर वह इस मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उठाकर इसे हवा देने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान लंबे समय से इस कोशिश में है कि मुस्लिम देशों के संगठन (ओआईसी) अपने विदेश मंत्रियों की बैठक में कश्मीर मसले पर चर्चा करे लेकिन ओआईसी अब तक उसके इस दुराग्रह को टालता रहा है। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान को कश्मीर मसले पर वार्ता के लिए ओआईसी से कड़े शब्दों में मांग करनी चाहिए।
ओआईसी समझता है पाक का मंसूबा
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने इस मसले को सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है और वैश्विक समर्थन हासिल करने की असफल कोशिश की है। चीन, तुर्की और मलेशिया को छोड़कर किसी देश ने उसका समर्थन नहीं किया। कश्मीर मसले पर वह दुनिया में अलग-थलग पड़ गया। बावजूद इसके वह भारत के खिलाफ झूठ का प्रोपगैंडा फैलाने में पीछे नहीं हटा है। वह चाहता है कि ओआईसी की बैठक में कश्मीर मसले पर चर्चा होने के बाद इस पर प्रस्ताव पारित हो लेकिन सऊदी अरब, यूएई सहित ओआईसी के अन्य देश पाकिस्तान के मंसूबे को समझते हैं इसलिए वे उसके बार-बार के अनुरोध पर आगे नहीं बढ़े हैं।
ओआईसी पर दबाव देना चाहता है पाक
एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि कश्मीर मसले पर चर्चा के लिए यदि ओआईसी बैठक नहीं बुलाता है तो पीएम इमरान खान को इसके लिए दृढ़ता से मांग रखनी चाहिए। बतां दे कि 57 देशों के समूह ओआईसी की इच्छा अपने विदेश मंत्रियों की बैठक में खासकर कश्मीर पर चर्चा करने की नहीं रही है। क्योंकि ओआईसी कश्मीर को भारत एवं पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला मानते हैं। यूएई ने तो खुलकर अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन कर चुका है।
भारत सरकार ने खत्म किया अनुच्छेद 370
भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया। साथ ही उसने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। नई दिल्ली के इस कदम से पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह भारत सरकार के इस कदम के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में गया लेकिन किसी ने भी उसकी बात पर भरोसा नहीं किया। उसे हर जगह से निराशा मिली। सऊदी अरब एवं यूएई जैसे मुस्लिम देश भी उसके साथ नहीं आए।