इस्लामाबाद: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और अमेरिकी हवाई हमलों पर पाकिस्तान अपनी चुप्पी के कारण स्पष्ट नहीं रहा है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान अमेरिका को मौन समर्थन दे रहा है। शीर्ष खुफिया सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान अपनी सेनाओं के खिलाफ बलूच आतंकवादी हमलों के लिए ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को दोषी मान रहा है, जो अमेरिकी हवाई हमले में मारा गया है। अमेरिका ने ऑपरेशन के बाद जब पाक का समर्थन मांगा तो उसे एक तीर से दो निशाने लगाने का मौका मिल गया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक लीक पत्र के अनुसार, हाल ही में ईरान स्थित बलूच आतंकवादियों द्वारा पाकिस्तान सशस्त्र बलों के 14 कर्मियों को मार दिया गया था। यह पाकिस्तान के खिलाफ ईरानी खुफिया प्रमुख सुलेमानी की ओर से प्रायोजित हमला था।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को आईआरजीसी के खिलाफ हवाई हमले के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा को विश्वास में लिया। एक ट्वीट में, पोम्पेओ ने खुलासा किया कि उन्होंने पाक सेना प्रमुख बाजवा से 'कासिम सुलेमानी को मारने की रक्षात्मक कार्रवाई' के बारे में बात की थी।
इसके तुरंत बाद, अमेरिका ने बहु-प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम (IMET) में पाकिस्तान की भागीदारी को फिर से शुरू कर दिया, जिस पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था।
आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की कमी के कारण पाकिस्तानी सैनिकों की ट्रेनिंग को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो साल के लिए रोक दिया था लेकिन हाल ही में इस कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी गई। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री के अनुसार पाकिस्तान पर समग्र सुरक्षा सहायता निलंबन अभी भी लागू है और सिर्फ ट्रेनिंग कार्यक्रम को फिर से शुरु किया गया है।
जाहिर है क्षेत्रीय परिस्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका के खेमे में शामिल होना चाहता है। अफगानिस्तान में अमेरिका की सैन्य कार्रवाई के दौर में भी पाकिस्तान ने इस तरह का रुख दिखाया था और अब एक अन्य पड़ोसी देश ईरान को लेकर भी वैसा ही रवैया अपनाता दिख रहा है।