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Pakistan: आतंक पर लगाम लगाने में नकाम रहा पाकिस्तान, एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट' में बना रहेगा

Updated Jun 25, 2020 | 07:22 IST

आतंकवादियों को पनाह देने के लिए दुनियभर में मशहूर पाकिस्तान को एक बार फिर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से झटका लगा है। एफएटीएफ ने फैसला लिया है कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।

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Pakistan to remain on ‘greylist’ of terror financing watchdog FATF
मुख्य बातें
  • आतंकियों के पनाहगार पाकिस्तान को वैश्विक मंच से एक बार फिर लगा झटका
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने फिर से रखा ग्रे सूची में
  • लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा है पाकिस्तान

नई दिल्ली: आतंकियों के पनाहगार और मददगार पाकिस्तान को एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय मंच से बड़ा झटका लगा है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है। दरअसल यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को पहुंचने वाली वित्तीय मदद को रोकने में नाकाम रहा है।

तीसरी बैठक में लिया गया फैसला

 वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की तरफ से बुधवार को अपनी तीसरी डिजिटल बैठक आयोजित की गई जिसमें यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘एफएटीएफ ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया है। एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया है।'

पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
यदि पाकिस्तान आतंकियों को वित्तीय सहायता रोकने में विफल रहता है तो उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में  यदि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया तो उससे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है , जो पहले से ही बुरी स्थिति में है। पाकिस्तान में इस समय अल - कायदा , जमात - उद - दावा और इसके सहयोगी संगठन फलह - ए - इंसानियत फाउंडेशन और लश्कर - ए - तैयबा , जैश - ए - मोहम्मद , हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े कई ऐसे आतंकी संगठन हैं जिन्हें पाकिस्तान और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई खुद फंडिंग करती है।

मुश्किल होगी राह!

 आपको बता दें कि एफएटीएफ का कार्यालय पेरिस में स्थित है। इसकी स्थापना 1989 में हुई जो मनी लान्ड्रिंग के खिलाफ लड़ाई की नीतियां बनाता है।  अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालता है तो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं एवं बैकों को पाकिस्तान में कारोबार करना काफी मुश्किल हो जाएगा।