- करीब 20 हजार कांट्रैक्टर अमेरिका और नाटो की सेना के लिए अफगानिस्तान में काम करते थे।
- कांट्रैक्टर अफगानिस्तान के बड़े इलाके में आतंरिक सुरक्षा की भी जिम्मेदारी उठाते रहे हैं।
- अमेरिका और नाटो की सेना का साथ देने से कांट्रैक्टरों को डर है कि तालिबान उन्हें मौत के घाट उतार सकता है।
नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। और वहां अफरा-तफरी का माहौल है। सबको इसी बात का डर है कि आने वाले दिनों में तालिबान उनके साथ क्या करेगा। लेकिन वहां पर सबसे ज्यादा डरे और सहमे हुए कांट्रैक्टर हैं। जो कभी अमेरिका और नाटो की सेना के साथी हुआ करते थे। हालात ऐसे है कि उन्हें लगा रहा है, कि अमेरिका का साथ देने की वजह से उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। इसीलिए वह जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं।
कौन हैं कांट्रैक्टर
अफगानिस्तान के गजनफर बैंक में इंडिपेंडेट डायरेक्टर सुनील पंत ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से इन कांट्रैक्टर के काम और डर के बारे में विस्तार से बात की है। पंत के अनुसार अफगानिस्तान में एक समय करीब 20 हजार कांट्रैक्टर हुआ करते थे। जो कि आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी देखते रहे हैं। साथ ही अमेरिका और नाटो की सेना के लिए दुभाषिये, एयर क्रॉफ्ट मेंटनेंस सहित दूसरे काम किया करते थे। इनकी ड्रेस भी एकदम अलग हुआ करती है। वह या तो आर्मी की जैकेट पहनते हैं या फिर आर्मी के पैंट पहनते हैं। यानी आर्मी के ड्रेस का एक हिस्सा वह पहनते हैं। ऐसे में उनकी पहचान दूर से हो जाया करती है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूसरे देशों के लोग भी शामिल हैं।
स्पेशल वीजा देने का हुआ था समझौता
जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करना शुरू किया तो इन कांट्रैक्टर को इस बात का डर सताने लगा कि सत्ता में आने के बाद तालिबान उन्हें मौत के घाट उतार देंगे। इसे देखते हुए अमेरिका और नाटो की सेना ने इन कांट्रैक्टर के साथ एक समझौता किया। जिसके तहत इन्हें स्पेशल इमीग्रेशन वीजा दिया जाएगा। जिसके अनुसार सभी देश अपने कांट्रैक्टर की संख्या के अनुपात में वीजा देंगे। हालांकि इसके लिए वैरिफिकेशन की शर्त थोड़ी सख्त थी। ऐसे में इनको वीजा देने के काम में ज्यादा समय लगा सकता है। यही उनकी समस्या है। क्योंकि तालिबान ऐसे लोगों को सजा दे सकते हैं। जिन्होंने अमेरिकियों और नाटो देशों का साथ दिया है। हालांकि तालिबान की प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि हम किसी से दुश्मनी नहीं निकालेंगे। और सभी अफगानियों को माफ करते हैं।
क्या कहती है अमेरिकी रिपोर्ट
अमेरिका के रक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से जुलाई के बीच में करीब आधे कांट्रैक्टर रह गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2021 में अमेरिका के करीब 17000 कांट्रैक्टर काम कर रहे थे। जो कि जुलाई के अंत तक 7800 रह गए हैं। साफ है कि अमेरिका ने तेजी से इन कांट्रैक्टर को अफगानिस्तान से हटाया है। लेकिन अभी भी करीब 10 हजार कांट्रैक्टर वहां पर हैं। ऐसे में उनकी यही समस्या है कि तालिबान अब आगे क्या करने वाला है?
अशरफ गनी को भी डर
जब तालिबान काबुल के एकदम नजदीक पहुंच गया तो उस वक्त अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर भाग गए। उन्होंने कल संयुक्त अरब अमीरात से वीडियो जारी करते हुए कहा कि वह अफगानिस्तान में कत्ल-ए-आम रोकने के लिए देश छोड़कर चले गए। उन्हें डर था कि उनका भी हाल पूर्व राष्ट्रपति नजीबुल्लाह जैसा होता। तालिबान ने 1996 में काबुल पर कब्जा करने के बाद नजीबुल्लाह को खुले आम फांसी पर लटका दिया था।