तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
- अफगानिस्तान में अब तालिबान का कब्जा है
- राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर जा चुके हैं
- दुनिया की नजरें अफगानिस्तान के हालात पर हैं
काबुल : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद हालात पल-पल बदल रहे हैं। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर जा चुके हैं, जिसके बाद उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में शरण ली है। काबुल में तालिबान राज का साफ असर देखा जा सकता है, जहां खौफ व दहशत की वजह से बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर जाने की कोशिशों में लगे हैं। इस बीच काबुल एयरपोर्ट पर एक बार फिर गोलीबारी की रिपोर्ट है। यहां जानिये अफगानिस्तान से जुड़े अब तक के 5 अहम अपडेट्स:
- काबुल एयरपोर्ट पर एक बार फिर गोलीबारी की सूचना है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान से निकलने के लिए बुधवार रात यहां भारी भीड़ मौजूद थी, तभी यहां अंधाधुंध फायरिंग हुई, जिसके बाद यहां लोगों में और खौफ पैदा हो गया है। इससे पहले यहां हुई गोली में 7 लोग जान गंवा चुके हैं।
- अफगानिस्तान में तालिबान के दबदबे का असर पड़ोसी मुल्कों पर भी होने लगा है। पाकिस्तान के साथ लगने वाली तोर्खम सीमा पर अब अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज नहीं, बल्कि इस्लामिक अमीरात का सफेद झंडा लहरा रहा है। सीमा चौकियों पर अब अफगान सुरक्षा बलों की जगह तालिबान लड़ाकों का कब्जा है। इस सीमा से आम तौर पर रोजाना करीब छह-सात हजार लोग पाकिस्तान-अफगानिस्तान आते-जाते रहे हैं, लेकिन अब यहां 50 लोग ही दिखते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने संसाधनों के जरिये अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है, जिसका अर्थ यह हुआ कि तालिबान की अगुवाई वाला अफगानिस्तान आईएमएफ के संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। आईएमएफ ने इसकी वजह भी बताई है और कहा कि काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद वहां की सरकार को मान्यता देने को लेकर स्पष्टता की कमी है।
- तालिबान के बढ़ते कदम के बीच काबुल छोड़ने वाले राष्ट्रपति अशरफ गनी ने वीडियो संदेश के माध्यम से अपने ऊपर लगे आरोपों पर जवाब दिया है। चार कारों और पैसों से भरे हेलीकॉप्टर के साथ फरार होने के आरोपों को उन्होंने बेबुनियाद बताया और कहा कि जब वह राष्ट्रपति भवन से निकले तो उनके पास जूते पहनने का भी समय नहीं था और जो सैंडल उन्होंने पहन रखा था, उन्हें उसके साथ ही वहां से निकलना पड़ा।
- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बार फिर अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के अपने फैसले का बचाव किया है और कहा कि जब भी ऐसा होता, इसकी 'बड़ी कीमत' चुकानी होती। उन्होंने यह भी कहा किअमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी अफगानिस्तान में तब तक बनी रहेगी, जब तक कि सभी अमेरिकी नागरिकों और सैनिकों को बाहर नहीं निकाल लिया जाता। अफगानिस्तान में अनुमानत: 10-15 हजार अमेरिकी नागरिक मौजूद हैं।