- भारत-चीन तनाव के बीच शंखाई सहयोग संगठन की हो रही है बैठक
- भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हो रहे हैं शामिल
- बैठक में चीन क्या कुछ कहता है देखना होगा अहम
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को रूस की राजधानी मास्को पहुंचे। वो एससीओ की एक महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने के साथ ही रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू से मुलाकात करके द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। बताया जा रहा है कि एससीओ सदस्य देशों के सभी आठ रक्षा मंत्री आतंकवाद, अतिवाद जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उनसे एकजुट होकर निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
एससीओ की बैठक पर टिकी नजर
भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया हैकि रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर मॉस्को पहुंच गए। मेजर जनरल बुखतीव यूरी निकोलाईविच ने हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की।’’यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब संगठन के दो प्रमुख सदस्य देश भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध है।
एससीओ कार्यक्रम के इतर सिंह और वेई के बीच द्विपक्षीय बैठक की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अधिकारियों ने कहा था कि ऐसी कोई योजना नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मास्को रवाना होने से पहले ट्वीट करके कहा था कि शोइगू के साथ होनेवाली बातचीत में परस्पर हितों के मुद्दे शामिल रहेंगे।
भारत और रूस रणनीतिक साझेदार हैं। मैं इस यात्रा के दौरान इस साझेदारी को और आगे बढ़ाने को लेकर उत्साहित हूं।
एससीओ बैठक से इतर एस-400 पर हो सकती है चर्चा
रूस के रक्षा मंत्री शोइगू के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक में सिंह रक्षा अनुबंधों के तहत भारतीय सशस्त्र बलों को विभिन्न हथियारों और कलपूर्जों की जल्द आपूर्ति के लिए दबाव डालेंगे। इस वार्ता में, उम्मीद है कि, दोनों पक्ष भारत में एके 203 राइफल के उत्पादन के काफी समय से लंबित प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से अंतिम रूप देंगे। रूसी पक्ष से भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध करेंगे।भारत को एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक निर्धारित है।जून के बाद सिंह की यह दूसरी मास्को यात्रा है। उन्होंने 24 जून को मास्को में विजय दिवस परेड में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। विजय दिवस परेड का आयोजन द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की 75 वीं वर्षगांठ पर किया गया था।