नई दिल्ली/अबु धाबी : तक्ष जैन की उम्र महज दो साल, 10 महीने है, लेकिन उसने काम कुछ ऐसा किया कि वह मिसाल बन गई। इस छोटी सी उम्र का मासूम अभी से कैंसर पीड़ितों की तकलीफ समझता है और उनके लिए कुछ ऐसा करना चाहता है, जो उनके चेहरों पर कुछ हद तक ही सही एक मुस्कान ला सके। भारतीय जड़ों से जुड़ा तक्ष अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में रहता है, जिसने इस छोटी सी उम्र में अपने केश कैंसर मरीजों के लिए दान करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही दो साल, 10 महीने का यह भारतीय बच्चा कैंसर मरीजों के लिए केश दान करने वाला यूएई का सबसे कम उम्र का दानदाता बन गया है।
तक्ष ने अपने जीवन से जुड़ा यह फैसला जिन कारणों से लिया, वह भी बेहद दिलचस्प है और साथ में प्रेरणादायक भी। तक्ष की बड़ी बहन मिशिका नवंबर 2019 से ही ऐसा करती आ रही है, जिसकी उम्र अब आठ साल है। उसके स्कूल में इसके लिए कैंपेन चला था, जिससे प्रेरित होकर उसने कैंसर मरीजों के लिए अपने केश दान करने का फैसला लिया। मिशिका और अक्ष की मां नेहा जैन के मुताबिक, उनकी बेटी अक्सर घर में इस बारे में बात करती थी। बेटा बड़े ध्यान से बहन की बातें सुनता था और एक दिन उसने अपनी मां से कहा कि वह भी बड़ी बहन की तरह कैंसर मरीजों के लिए अपने केश दान करना चाहता है।
जब मासूम ने कर दिया मां को भावुक
राजस्थान के कोटा से ताल्लुक रखने वाली नेहा गृहणी हैं, जो बेटे की यह बात सुनकर खुशी से भर गईं। उन्हें पसंद आया कि बेटा इस उम्र से ही लोगों की तकलीफों को महसूस करता है और उनके लिए कुछ करना चाहता है। हालांकि अभी वह इस बारे में बहुत कुछ जान पाने या समझ पाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन उसे मालूम है कि यह कुछ अच्छा काम है, जो अब तक बहन करती आ रही है और जिसके लिए सब उसकी तारीफ करते हैं। ऐसे में जब उसने मां को यह बात बताई कि उसे भी बहन की तरह कैंसर मरीजों के लिए अपने केश दान करने हैं तो वह भावुक हो गईं और उन्होंने इसके लिए उसका रजिस्ट्रेशन करा दिया।
'फ्रेंड्स ऑफ कैंसर पेशंट्स' में रजिस्ट्रेशन के साथ ही तक्ष यूएई में कैंसर मरीजों के लिए केश दान करने वाला सबसे कम उम्र का शख्स बन गया। मां अब उसके बाल कुछ और लंबे कर उसे डोनेट करना चाहती हैं और उनका कहना है कि बेटा इस बात की बिल्कुल भी शिकायत नहीं कर रहा है कि लंबे बालों की वजह से उसे किसी तरह की परेशानी हो रही है। राजस्थान के कोटा से ताल्लुक रखने वाली नेहा अपने बच्चों की इस बात से न सिर्फ खुशी महसूस कर रही हैं, बल्कि उनका कहना है कि ये बच्चे उनकी प्रेरणा का कारण भी बने और अंतत: उन्होंने भी इस अच्छे काम के लिए अपने बाल डोनेट किए हैं।