- पंजशीर घाटी में तालिबान ने घुसने का दावा किया
- अहमद मसूद के लड़ाकों ने तालिबान के दावे को बताया गलत
- तालिबान 1 शासन में भी पंजशीर रहा आजाद
अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्से पर तालिबान का कब्जा है, हालांकि पंजशीर घाटी उनके कब्जे से दूर है । लेकिन अब तालिबान का दावा है कि उसके लड़ाके घाटी में दाखिल हो चुके हैं लेकिन अहमद मसूद के लड़ाके तालिबानी दावे को गलत बता रहे हैं। तालिबान का प्रचार मशीन फर्जी खबर फैला रहा है कि वे पंजशीर में घुस गए हैं। उनके दावों में दम नहीं है। पंजशीर अच्छी तरह से दृढ़ है और अभेद्य है। अगर हमलावर वहां घुसने की कोशिश करते हैं, तो यह उनके अंत की शुरुआत होगी।
तालिबान विरोधी खेमे का इनकार
तालिबान का विरोधी खेमा यानी कि जिसका नेतृत्व अहमद मसूद कह रहे हैं को पंजशीर घाटी तालिबानियों के लिए कब्रगाह बनेगी। तालिबान के खिलाफ उनका मोर्चा मजबूत है और पंजशीर की हिफाजत के लिए जी जान लगा देंगे। उन्होंने तालिबान के पहले कार्यकाल का भी जिक्र किया कि तालिबानियों को अपने हश्र को नहीं भूलना चाहिए।
तालिबान ने पंजशीर में घुसने का किया है दावा
टोलो न्यूज के मुताबिक तालिबान ने कहा था कि उसकी सेना शनिवार को बिना किसी प्रतिरोध के पंजशीर में दाखिल हो गई। लेकिन अहमद मसूद के समर्थकों ने साफ किया कि तालिबान के दावे में दम नहीं है। उधर तालिबान के कल्चर कमीशन के सदस्य ने कहा कि बातचीत के दरवाजे अभी बंद नहीं हैं।
क्या कहते हैं जानकार
तालिबान सांस्कृतिक आयोग के एनामुल्लाह समांगानी के मुताबिक भी अभी तक कोई संघर्ष नहीं हुआ है। तालिबान के खिलाफ सुर उठाने वाले मोहम्मद अलमास जाहिद ने कहा कि पंजशीर में कोई लड़ाई नहीं है और कोई भी अंदर नहीं आ सका है। जानकार कहते हैं कि अभी इस तरह की खबरें आती रहेंगी। लेकिन बात अगर 1996 की करें तो तबसे लेकर अब बहुत कुछ बदल चुका है। तालिबान, जिस तरह अफगानिस्तान पर काबिज हैं और उनके पास हथियार हैं, उसकी तुलना में अगर रजिस्टेंस फोर्स को मदद नहीं मिली तो लड़ाई जारी रखना आसान नहीं होगा।