काबुल एयरपोर्ट के बाहर आतंकी हमले के महज 48 घंटे में अमेरिका ने अफगानिस्तान के नागरहार प्रांत में आईएस के ठिकानों को निशाना बनाया। पेंटागन का कहना है कि अमेरिकी हवाई हमले में आईएस-K के दो बड़े कमांडर मारे गए हैं। 48 घंटे में 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत का बदला पूरा किया। ISIS के आतंकियों पर अमेरिका की एयर स्ट्राइक से उसकी कमर टूट गई है।
((नैट))
वक्त, जगह और हथियार अमेरिका का, निशाना बना आईएस-के
वक्त भी अमेरिका का था, जगह भी अमेरिका ने चुनी, हथियार भी अमेरिका के थे, निशाना भी अमेरिका ने तय किया और आतंकी को उनके घर में घुसकर मारा काबुल एयरपोर्ट पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने जो कहा थावो करके दिखाया। ये अमेरिका का प्रतिशोध है। ये अमेरिका का आतंक के मुंह पर सबसे बड़ा तमाचा है। अफगानिस्तान में आज भले ही तालिबान अपना कब्जा जमा चुका है। लेकिन अमेरिका ने अपना बदला सूद समेत ले लिया है।
दो दिन पहले काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुआ था हमला
2 दिन पहले अफगानिस्तान का काबुल एयरपोर्ट सीरियल ब्लास्ट से दहल उठा। इस हमले में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। और कईं सौ घायल हो गए। मरने वालों में 13 अमेरिकी मरीन और मेडिकल स्टाफ भी शामिल थे।. इस हमले की जिम्मेदारी ISIS-K, यानी खुरासान ग्रुप ने ली थी। जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये साफ किया था कि हम इस हमले का जवाब हम जरूर देंगे।
MQ-9 रीपर ड्रोन अमेरिका का ब्रह्मस्त्र है। इसके बारे में हम आपको बताते हैं।
- ये पहला हंटर-किलर ड्रोन है, जिसे अमेरिकी वायुसेना ऑपरेट करती है
- ये हंटर-किलर ड्रोन, टारगेट को खुद सर्च करके उसे ध्वस्त करता है
- इसमें कोई इंसान नहीं होता, 1 रिमोट पायलट और एक सेंसर ऑपरेटर इसे सेटेलाइट लिंक से चलाते हैं
- अमेरिका ने इसे विदेशों में सैन्य अभियान के लिए बनाया है
- इसके मिशन सीरिया, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, लीबिया, यमन में हुए हैं
- अमेरिका ने ईरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी को इसी ड्रोन से मार गिराया था
- MQ-9 रीपर ड्रोन की स्पीड 370 किलोमीटर प्रति घंटा है
- ये करीब 1700 किलोग्राम तक वज़न ले सकता है
- इसमें 4 एयर टू सरफेस Hellfire मिसाइल और 8 लेज़र गाइडेड बम लगे होते हैं
- लेज़र गाइडेड Hellfire मिसाइल अचूक मिसाइल हैं
- इस ड्रोन के सेंसर...ग्राउंड टारगेट सर्च करते हैं, पहचान करते हैं, और हमले के लिए फिक्स करते हैं
- मिडिल ईस्ट के बेस से अमेरिका ड्रोन में फ्यूल भरकर उसे मिसाइलों से लोड करके भेजता है
- मिशन पर भेजे गए ड्रोन को अमेरिका के नेवेडा के क्रीच एयरबेस से कंट्रोल किया जाता है
- एक बार फ्यूल भरने पर ये 27 घंटे तक उड़ सकता है
- 50,000 फीट ऊंचाई तक ये ड्रोन जा सकता है
- इससे सेंसर और कैमरे 10,000 फीट से भी तस्वीरें ले सकते हैं
- अमेरिका के पास ऐसे 300 MQ-9 रीपर ड्रोन हैं
- एक हथियारबंद रीपर ड्रोन की कीमत इस वक्त करीब 235 करोड़ रुपये है।
बाइडेन ने किया था साफ, छोड़ेंगे नहीं
बाइडेन ने बयान में साफ कहा था कि हम तुम्हें माफ नहीं करेंगे। हम इस हमले को नहीं भूलेंगे। हम तुम्हें ढूंढ निकालेंगे। और तुम्हें सजा देंगे। लेकिन बदला लेने का समय हमारा होगा। जगह भी हम ही चुनेंगे। और वो पल भी हम ही चुनेंगे। बाइडन के इस बयान के 48 घंटे के भीतर आतंकी संगठन ISIS से बदला ले लिया। पेंटागन के मुताबिक अमेरिकी सेना ने इस्लामिक स्टेट पर एयर सट्राइक की है। ड्रोन के जरिए ISIS-K गुट को निशाना बनाते हुए उसके ठिकानों पर बमबारी की गई।इन तस्वीरों में अमेरिका की जवाबी कार्रवाई के निशान साफ देखे जा सकते हैं।
ISIS-K के आतंकियों पर ड्रोन से हमला किया गया।.
- नंगरहार इलाके में ड्रोन स्ट्राइक की गई
- ड्रोन हमले में मास्टरमाइंड को मार गिराया गया।
- नंगरहार इलाके में है ISIS-K का हेडक्वार्टर है।
- इस हमले में किसी भी आम नागरिक को कोई नुकसान नहीं हुआ।
- अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर अलर्ट भी जारी कर दिया है।
- कि काबुल एयरपोर्ट की गेट से अमेरिकी हट जाएं।
2017 में मदर ऑफ ऑल बॉम्ब का हुआ था इस्तेमाल
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब अमेरिका ने आतंक के सरगना ISIS पर एयर स्ट्राइक की है। 2017 में भी अमेरिका ने ISIS के ठिकाने पर मदर ऑफ ऑल बॉम्ब गिराया था। 2017 में Mother of All Bomb अमेरिका ने गिराया था।. अफगानिस्तान के नंगरहार में ISIS खुरासान के ठिकाने पर ही गिराया था। जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी ठेर हुए थे। और अब एक बार फिर अमेरिका ने ISIS को मुंहतोड़ जवाब दिया है।