Russia economic sanctions: यूक्रेन में पल-पल हालात बदल रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब से यूक्रेन के क्षेत्रों दोनेत्स्क और लुहांस्क को दो अलग स्वतंत्र मुल्क के तौर पर मान्यता देने वाले आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, पश्चिमी देशों के साथ रूस का तनाव और भी बढ़ गया है। अमेरिका सहित कई देशों ने रूस के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है, जिनका मानना है कि आर्थिक चोट के बाद रूस घुटने टेकने पर मजबूर हो जाएगा। पर क्या वास्तव में ऐसा है?
अमेरिका सहित कई विकसित मुल्कों द्वारा थोपे गए आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर यहां के अधिकारियों और लोगों का रवैया किस तरह का है, इसे समझने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर किन देशों ने रूस के खिलाफ अब तक प्रतिबंधों की घोषणा की है।
अमेरिका
रूस के खिलाफ जिन देशों ने आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है, उनमें शीर्ष पर अमेरिका का नाम है, जो पहले से ही इसे लेकर चेताता रहा है कि अगर रूस ने यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की तो उसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। रूस द्वारा यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों को स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता देने वाले आदेश-पत्र पर हस्ताक्षर के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान किया।
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बाइडेन ने रूस के दो बड़े वित्तीय संस्थानों- VIB और सैन्य बैंक पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। साथ ही रूसी अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था से हटाने का ऐलान भी किया। बाइडेन ने इस संबंध में अपने सहयोगी देशों के साथ समन्वय की बात भी कही है।
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने रूस के तीन अरबपतियों- गेनेडी टिमचेंको, बोरिस रोटेनबर्ग और आइगर रोटेनबर्ग पर पाबंदी लगाई है औन अपने यहां उनकी संपत्ति को फ्रीज करने की बात कही है। उन्हें ब्रिटेन पहुंचने से भी रोका जाएगा। रोसिया, IS बैंक, जनरल बैंक, प्रॉमस्व्याज बैंक और ब्लैक सी बैंक के खिलाफ भी प्रतिबंधों की घोषणा ब्रिटेन ने की है।
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ ने भी रूसी बैंकों पर प्रतिबंधों की घोषणा की है और यूरोप के वित्तीय बाजारों तक उनकी पहुंच को बैन कर दिया है।
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कनाडा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूस के खिलाफ पहले दौर के आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है और कहा कि अगर हालात बिगड़ते हैं तो इस दिशा में और भी कदम उठाए जा सकते हैं।
इन प्रतिबंधों का रूस पर होगा असर?
अब इन प्रतिबंधों का रूस पर पड़ने वाले असर की बात करें तो निश्चित तौर पर इसका असर मुल्क की अर्थव्यवस्था पर पड़ने जा रहा है, लेकिन जैसा कि व्यापार में किसी भी पक्ष का एकतरफा नुकसान या एकतरफा फायदा नहीं होता, रूस भी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि इन प्रतिबंधों का नुकसान सिर्फ उसे नहीं होगा और अंतत: ये उस पर बहुत असर नहीं डाल पाएंगे।
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फिर, रूस के लिए इस समय सबसे बड़ा मसला सुरक्षा का है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने देश की जनता को यह यकीन दिलाने में कामयाब रहे हैं कि पश्चिमी देश यूक्रेन में अपने सैन्य अड्डे बनाकर रूस की सुरक्षा को कमजोर करना चाहते हैं और यूक्रेन अगर NATO में शामिल होता है तो रूस के 'राष्ट्रीय हितों' के लिए यह ठीक नहीं होगा। यही वजह है कि न तो रूस के अधिकारी और न ही यहां के लोग प्रतिबंधों की बहुत परवाह करते नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि यह सच है कि यूक्रेन के मसले पर रूस इस समय अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहा है और संघर्ष की जो स्थिति बन रही है, उससे यहां के लोगों में भी तनाव व चिंता बढ़ रही है। लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन पर अमेरिकी प्रभाव का हवाला देते हुए वे पुतिन के फैसलों का भी समर्थन कर रहे हैं।