- अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी कार्यवाहक सरकार की घोषणा की है
- देश के आर्थिक हालात खराब हुए, खाने-पीने की चीजों के दाम कई गुना बढ़े
- संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अभी इस देश को तत्काल आर्थिक मदद चाहिए
नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान को लेकर बड़ी चेतावनी जारी की है। यूएन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकटग्रस्त देश को आर्थिक मदद पहुंचाने का यदि रास्त नहीं निकाल पाता है तो यह देश 'पूरी तरह से टूटकर बिखर जाने' के कगार पर आ गया है। अलजजीरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की करीब 10 अरब डॉलर की संपत्तियां जब्त हो गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजनयिक डेबोराह लयन्स ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि इस संकट से रास्ता निकालने का एक ही उपाय, इस देश को आर्थिक मदद पहुंचाना है।
अफगानिस्तान को तत्काल चाहिए आर्थिक मदद
उन्होंने कहा, 'समाजिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को पूरी तरह चौपट हो जाने से बचाने के लिए इस देश में पैसे की आपूर्ति करनी होगी।' लॉयन्स ने कहा कि अफगानिस्तान में संकटों का पहाड़ खड़ा हो गया है। यहां की मुद्रा डूब रही है, खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है, तेल के दाम आसमान छू रहे हैं और निजी बैंकों में नकदी का अभाव हो गया है। उन्होंने बताया कि संस्थाओं के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड भी नहीं हैं।
देखना होगा कि आर्थिक मदद का गलत इस्तेमाल न हो
15 सदस्यीय परिषद से लॉयन्स ने कहा, 'कुछ महीने तक अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की जरूरत है।' लेकिन साथ में यह भी देखना होगा कि इस फंड का दुरुपयोग नहीं होने पाए। अफगानिस्तान को मिलने वाले विदेशी फंड का 75 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका से आता था लेकिन 20 साल की लड़ाई के बाद वहां से उसके निकल जाने पर यह आर्थिक मदद बाधित हो गई है।
सीधे आर्थिक मदद नहीं देगा अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि उनका देश अफगानिस्तान को मानवीय मदद के रूप में फंड जारी करेगा लेकिन प्रत्यक्ष आर्थिक मदद तालिबान सरकार के रवैये पर निर्भर करेगी। बता दें कि 15 अगस्त के राजधानी काबुल पर तालिबान का नियंत्रण हो जाने के बाद इस एयरपोर्ट से नागरिक उड़ाने बंद हो गई थीं लेकिन गुरुवार को यहां से काबुल से 100 यात्रियों को लेकर एक विमान कतर पहुंचा।
आईएमएफ ने भी फंड रोका
अफगानिस्तान पर तालिबान का राज कायम होने के बाद यह देश आर्थिक संकट से घिरता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी करीब 440 मिलियन डॉलर का आपात फंड निकालने पर रोक लगा दी है। अमेरिका के वरिष्ट राजनयिक जेफ्री डिलॉरियेंटिस ने सुरक्षा परिषद से कहा कि तालिबान अपनी अंतरराष्ट्रीय वैधता एवं समर्थन चाहता है। हमारा संदेश सीधा और स्पष्ट है। इसे आपको कमाना पड़ेगा।