काबुल : अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान काबिज तो हो चुका है, लेकिन पंजशीर में उसे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्ला सालेह भी पंजशीर में ही बने हुए हैं। इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान ने अमरुल्ला सालेह के बड़े भाई को गोली मार दी है।
सोशल मीडिया पर कई ऐसे ट्वीट हैं, जिनमें दावा किया गया है अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान और नॉदर्न अलायंस के बीच गुरुवार रात हुई हिंसक झड़प में अमरुल्ला सालेह के बड़े भाई को तालिबान लड़ाकों ने गोली मार दी। कुछ ट्वीट में कथित तौर पर उनकी मौत की बात भी कही गई है।
तालिबान ने किया था पंजशीर पर कब्जे का दावा
तालिबान ने अभी कुछ दिनों पहले ही पंजशीर घाटी के पूरी तरह अपने कब्जे में होने का दावा किया था। तालिबान द्वारा 15 जुलाई को काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद से ही पंजशीर घाटी में संघर्ष चल रहा है। यहां राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (NRF) और नॉर्दन अलायंस से उसे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है, जिसे अमरुल्ला सालेह का समर्थन प्राप्त है। तालिबान ने हालांकि पंजशीर घाटी पर अपने कब्जे का दावा किया है, पर NRF ने इससे इनकार किया है।
तालिबान ने यह दावा भी किया था अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले गए हैं। हालांकि NRF ने तालिबान के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वह पंजशीर घाटी में 'अहम मोर्चों' पर अभी कायम है। उसने यह भी कहा कि तालिबान और उसके सहयोगियों के खिलाफ उसकी लड़ाई जारी रहेगी। NRF ने दावा किया था कि तालिबान को पाकिस्तान से मदद मिल रही है, वरना वह उससे मुकाबला नहीं कर सकता।