वाशिंगटन : पाकिस्तान में हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की हालत कैसी है और वे किस तरह खौफ के साये में जीते हैं, यह कोई छिपी बात नहीं रह गई है। कई ऐसी रिपोर्ट्स आ चुकी हैं, जिनमें बताया गया कि किस तरह वहां हिन्दू परिवारों की बेटियों को अगवा कर लिया जाता है और उनके पवित्र स्थलों को भी तोड़फोड़ दिया जाता है। अब अमेरिका ने भी इसकी तस्दीक की है कि पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा है और हिन्दू वहां सताए जाते हैं।
अमेरिका की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि भारत ने हाल ही में अपने नागरिकता कानून में संशोधन करते हुए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों- हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख और इसाइयों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया है। इसमें यह कहते हुए मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है कि उक्त देश मुस्लिम बहुल हैं और इस समुदाय के लोगों को वहां आम तौर पर प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़ती।
पाकिस्तान में हिन्दुओं की बदहाली को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर टिप्पणी की। 27 देशों के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता गठबंधन के लॉन्च अवसर पर उन्होंने कहा, 'हम धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों की निंदा करते हैं, चाहे वे इराक में यजीदी हों, पाकिस्तान में हिंदू, पूर्वोत्तर नाइजीरिया में ईसाई या म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान हों।'
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इजराइल, यूक्रेन, नीदरलैंड्स और ग्रीस जैसे देश भी इस 27 सदस्यीय गठबंधन का हिस्सा है। इन देशों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पॉम्पिओ ने कहा कि मौजूदा हालात में हर चीज से ज्यादा सच्चाई के लिए लड़ने की जरूरत है। दुनिया में जहां कहीं भी अल्पसंख्यक हैं, उनमें से 80 फीसदी से अधिक लोग अपनी धार्मिक मान्यता को लेकर स्वतंत्र नहीं हैं। उन्होंने ईशनिंदा जैसे कानूनों की भी निंदा की, जिसकी आड़ में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।