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अनुच्‍छेद 370 पर भारत को फिर मिला समर्थन, अमेरिकी सांसद बोले-भेदभाव दूर करना है मकसद

Updated Dec 21, 2019 | 10:52 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने अनुच्‍छेद 370 पर भारत के फैसले का समर्थन किया है। उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार के इस फैसले के केंद्र में भेदभाव दूर करना, आर्थिक विकास जैसी बातें हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
अमेरिकी सांसद ने अनुच्‍छेद 370 पर भारत का समर्थन किया है (फाइल फोटो)

वाशिंगटन : जम्‍मू एवं कश्‍मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्‍छेद 370 के अहम प्रावधानों को निरस्‍त करने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्‍तान में भले ही बौखलाहट है, पर नई दिल्‍ली को इस मसले पर अंतरराष्‍ट्रीय समर्थन भी हासिल हो रहा है। भारत जहां पहले ही साफ कर चुका है कि यह उसका आंतरिक मामला है, वहीं इस मुद्दे पर उसे समर्थन मिलने का सिलसिला लगातार जारी है।

अब एक प्रभावशाली अमेरिकी सांसद ने भारत सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने यह फैसला आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, भ्रष्टाचार को खत्म करने और धर्म एवं जाति के आधार पर भेदभाव खत्म करने के लिए लिया गया है। अमेरिकी सांसद का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि भारत और अमेरिका के बीच दो दिन पहले ही 2+2 वार्ता हुई।

भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों की इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई का संकल्‍प लिया गया तो पाकिस्‍तान को नसीहत भी दी गई कि वह अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। अमेरिकी सांसद जो विल्सन ने प्रतिनिधि सभा में गुरुवार को अनुच्‍छेद 370 पर भारत के कदमों का समर्थन किया।

उन्‍होंने कहा, 'आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, भ्रष्टाचार को खत्म करने और लिंग, धर्म एवं जाति के आधार पर भेदभाव खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों को और आगे ले जाने के तहत विभिन्न दलों के समर्थन से यह निर्णय लिया। साउथ कैरोलिना से रिपब्लिकन सांसद ने यह भी कहा कि अमेरिका दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत को उभरते हुए देखकर खुश है।

अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन शृंगला ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और सांसद का आभार जताया। यहां उल्‍लेखनीय है कि भारत सरकार ने 5 अगस्‍त को अनुच्छेद 370 के महत्‍वपूर्ण प्रावधानों को हटाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख में बांटने का फैसला लिया था।