Russia Ukraine Conflict latest update: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाकों दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता दे दी है, जहां विद्रोही 2014 से ही यूक्रेन की सेना से लड़ रहे हैं और खुद को उसी समय से स्वतंत्र घोषित कर रखा है। दोनों इलाके यूक्रेन का बड़ा हिस्सा रहे हैं, लेकिन यहां अरसे से रूस का प्रभाव रहा है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 21 फरवरी, 2022 को दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देने वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। फिर रूस ने इनके साथ दोस्ती, सहयोग और सहायता के लिए समझौता भी किया। रूस की संसद ने पुतिन को देश के बाहर भी सैन्य बल के इस्तेमाल की अनुमति दी, जिसके बाद पुतिन ने रूसी सैनिकों को दोनेत्स्क और लुहांस्क में 'शांति' बनाए रखने के लिए काम करने को कहा।
'शक्ति संतुलन' के हिसाब से अहम हैं ये इलाके
रूस भले ही इन इलाकों में अपने सैनिकों को 'शांति रक्षक' कहता है, लेकिन पश्चिमी देशों को डर है कि इससे रूसी बलों को पूर्वी यूक्रेन में घुसने का बहाना मिल गया है और यही है कि रूस के खिलाफ 'दंडात्मक' कार्रवाई करते हुए वे ताबड़तोड़ आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान कर रहे हैं। दोनेत्स्क और लुहांस्क को लेकर रूस के कदम और इस पर पश्चिम की प्रतिक्रिया से साफ है कि यह 'शक्ति संतुलन' की हिसाब से कितना अहम क्षेत्र है।
दोनेत्स्क और लुहांस्क पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। ये इलाके रूस की सीमा से सटे हैं और 2014 में से ही यहां अगलववादियों तथा यूक्रेन की सेना के बीच संघर्ष जारी है। यूक्रेन और पश्चिमी देशों का आरोप है कि रूस यहां अलगाववादियों को हथियार मुहैया कराने से लेकर प्रशिक्षण और वित्तीय फंडिंग तक प्रदान करता है। मार्च 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद यहां अलगाववादी गतिविधयां और बढ़ गईं।
दोनेत्स्क और लुहांस्क का कितना है क्षेत्रफल?
दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रफल के हिसाब से यूक्रेन के बड़े इलाके रहे हैं। इन्हें पूरे यूक्रेन का करीब नौ फीसदी हिस्सा बताया जाता है। दोनेत्स्क का क्षेत्रफल जहां 26,592 वर्ग किलोमीटर है, वहीं लुहांस्क का क्षेत्रफल 26,684 वर्ग किलोमीटर है। दोनेत्स्क में रहने वालों की आबादी करीब 41 लाख है, जबकि लुहांस्क की जनसंख्या करीब 21 लाख है। यहां रहने वाले अधिकांश लोगों की भाषा और संस्कृति रूसी रही है।
ये इलाके आर्थिक रूप से भी बेहद अहम हैं। कोयला खनन और इस्पात उत्पादन यहां खूब होता है। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो 1991 में सोवियत संघ के विघटन से पहले तक यह इसका हिस्सा था। लेकिन सोवियत संघ के विघटन के साथ ही यह एक अलग देश के रूप में सामने आया। हालांकि तब भी पूर्वी और पश्चिमी यूक्रेन में कई मसलों पर मतभेद थे और जनमत संग्रह में लोगों ने अलग-अलग राष्ट्र्पति उम्मीदवारों के लिए वोट डाले थे।
विद्रोहियों को लगातार मिलता रूस का समर्थन
सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन भले ही एक स्वतंत्र व संप्रभु देश के तौर पर सामने आया, लेकिन यहां अलगाववादी ताकतें हमेशा सक्रिय रहीं, जिसे रूस से समय-समय पर समर्थन मिलता रहा। यूक्रेन की सेना व अलगवादियों के बीच संघर्ष समय के साथ बढ़ता गया तो अगले दो दशकों में ही यानी 2010 तक यहां खुलकर बड़ी संख्या में लोग रूस का समर्थन करने लगे।
इसके चार वर्षों बाद ही 2014 के जनमत संग्रह से जब क्रीमिया पर रूस का कब्जा हो गया तो इन इलाकों को भी अलगावादियों ने दोनेत्स्क और लुहांस्क को अलग देश के रूप में घोषित कर दिया और यहां अस्थाई सरकार का भी गठन किया। दोनेत्स्क की संसद में जहां 100 सदस्य होते हैं, वहीं लुहांस्क की संसद के सदस्यों की संख्या 50 तय की गई है। दोनों ने अपनी संसद को पीपुल्स काउंसिल नाम दिया है। इन्होंने अपना संविधान भी अपनाया हुआ है और अब रूस ने इन्हें मान्यता देते हुए उन्हीं संवैधानिक प्रावधानों के तहत इनके साथ दोस्ती और सहयोग की संधि की है।