- कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है भारत
- भारत की मदद के लिए दुनिया के कई मुल्कों ने बढ़ाए हाथ
- रूस और चीन की पेशकश के बाद अब अमेरिका ने भारत को मदद का दिया भरोसा
नई दिल्ली। कोरोना के कोहराम से भारत परेशान है। देश के अलग अलग सूबों में ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल हांफ रहे हैं तो मरीजों की सांसें उखड़ रही है। इसके साथ ही दवाइयों की किल्लत से सभी लोगों की परेशानी बढ़ गई है। भारत सरकार का कहना है कि वो लगातार इस हालात से निपटने की तैयारी में जुटी हुई है तो दुनिया के अलग अलग देशों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। ब्रिटेन, कनाडा, रूस, चीन के साथ साथ पाकिस्तान ने भी मदद की पेशकश की तो देर से ही सही अमेरिका ने भी मदद का भरोसा दिया है। लेकिन सवाल यही है कि क्या अमेरिका ने देर कर दी।
क्या अमेरिका ने भारत को मदद पहुंचाने में देरी की
क्या अमेरिका ने भारत को मदद पहुंचाने में देर कर दी। या अमेरिका वास्तव में मतलबी है। इस सवाल के जवाब में जानकारों की राय अलग अलग है। कुछ लोग कहते हैं कि अमेरिका ने अपने चरित्र के मुताबिक ही काम किया है। अमेरिकी नीति में साफ है कि पहले वो अपने हितों को ही प्राथमिकता देते हैं। लेकिन इस समय जब उसके दो दुश्मन देशों चीन और रूस ने मदद के हाथ बढ़ाए तो अमेरिका को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन एक बात तो सच है कि 2020 में अमेरिकी जब कोरोना की त्रासदी का सामना कर रहा था तो उस वक्त भारत ने बिना समय गंवाए अपनी जरूरतों को दांव पर लगाकर अमेरिका की मदद की थी।
आखिर अमेरिका को झुकना पड़ा
बता दें कि बिडेन प्रशासन की मदद में देरी करने पर डेमोक्रेट सांसद भी अपनी सरकार की खिंचाई कर रहे थे। इसके साथ ही जब एनएसए लेवल की बातचीत दोनों देशों में शुरू हुई तो उसके बाद बिडेन प्रशासन की रुख में बदलाव आया। हाल ही में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की एक खेंप अमेरिका से भारत पहुंची है। इसके साथ ही वैक्सीन के लिए जरूरी कच्चे माल के निर्यात पर भी रोक हटा ली गई है। जो बिडेन प्रशासन का कहना है कि जिस तरह से संकट काल में भारत ने अमेरिका की मदद की थी उसे हम कैसे भूल सकते हैं। कोरोना की इस दूसरी लहर मे भारत की जिस किसी भी चीज की जरूरत होगी उसे पूरा करने में हम पीछे नहीं हटेंगे।