नई दिल्ली। 18 साल पहले उस मंजर को कोई कैसे भूल सकता है जब दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिको को अल कायदा के आतंकियों ने निशाना बनाया था। न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को आतंकियों ने ध्वस्त कर दिया जिसमें तीन हजार लोगों की जान चली गई। आतंकियों ने दो विमानों को एक एक कर ट्विन टॉवर से टकराया और पूरी इमारत सिर्फ दो घंटे के अंदर जमीन में दफन हो गई। हमला ट्विन टॉवर पर हुआ था। लेकिन आसपास की इमारतों को नुकसान हुआ था।
आतंकियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को निशाना बनाने के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की इमारत पेंटागन को भी निशाना बनाया। इन हमलों में तीन हजार आम लोगों के साथ साथ 19 फिदाइन भी मारे गए। पेंटागन में करीब 184 लोग इस हमले का शिकार हो गए। सबसे बड़ी बात ये थी कि अल कायदा के हमले में सिर्फ अमेरिकी नागरिक काल के गाल में नहीं समाए बल्कि 70 देशों के नागरिक भी निशाना बन गए थे।
आतंकियों के इस दुस्साहस से हर कोई हैरान था। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने ऐलान कर दिया कि इस कायराना हमले के लिए जिम्मेदार संगठन को किसी भी कीमत पर छोड़ा जाएगा। इस हमले के जवाब में नेटो देश की सेनाएं अफगानिस्तान में दाखिल हुईं और आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने की कार्रवाई शुरू हुई। अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए खुफिया एजेंसियां जुट गई थीं और करीब 11 साल बाद अमेरिकी सील कमांडो ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में कमांडो कार्रवाई में लादेन मार गिराया गया।