- तालिबान के काबुल पहुंचते ही राष्ट्रपति महल छोड़कर चले गए अशरफ गनी
- गनी पर आरोप है कि वह अपने साथ भारी मात्रा में पैसे लेकर काबुल से निकले
- आरोपों पर गनी ने सफाई दी है, बोले-उन्हें काबुल छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा
नई दिल्ली : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के पहुंचते ही देश छोड़ने वाले राष्ट्रपति अशरफ गनी सामने आए हैं और अपने ऊपर लगे आरोपों को जवाब दिया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शरण लेने वाले गनी ने अपने फेसबुक संदेश में कई बातें सामने रखी हैं। गनी पर आरोप है कि वह चार कारों के साथ काबुल से निकले और उनका हेलिकॉप्टर पैसों से भरा था। अपने वीडियो संदेश में गनी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि वह नहीं चाहते थे कि काबुल में रक्तपात हो, इसलिए उन्होंने राजधानी छोड़ दी। गनी का कहना है कि वह ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रपति महल से निकले कि उनके पास जूते पहनने का समय नहीं था। उन्होंने जो सैंडल पहना हुआ था उसी के साथ उन्हें वहां से निकलना पड़ा।
'मैं सुरक्षाबलों का आभारी हूं'
अपने संदेश में उन्होंने कहा, 'मैं सुरक्षा बलों का आभारी हूं और मुझे उन पर गर्व है। उनकी हार नहीं हुई है और वे असफल नहीं हुए। हम राजनीति में नाकाम हुए लेकिन किस राजनीति में? यह तालिबान के नेतृत्व की नाकामी थी। यह सरकार के नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के नेतृत्व की असफलता थी। यह शांति प्रक्रिया की नाकामी है जिसने युद्ध की तरफ हमें धकेला। अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि शांति प्रक्रिया अफगान के अनुभवों एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैं सरकार की ओर से शुरू की गई वार्ता जो अभी जारी है, उसका समर्थन करता हूं। इसे अब नेशनल रिकनसिलेशन के हाई काउंसिल के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई आगे बढ़ा रहे हैं। इस प्रक्रिया को सफल बनाने की जरूरत है। मुझे अपने एक जोड़े पारंपरिक कपड़े, एक कमीज और सैंडल जिसे मैंने पहना हुआ है, उसके साथ अफगानिस्तान छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।'
गनी बोले-मैं अपना जूता भी नहीं पहन पाया
अपने नए वीडियो संदेश में गनी ने कहा, 'ऐसे लोग जो स्थानीय भाषा नहीं बोल रहे थे, वे राष्ट्रपति पैलेस में दाखिल हुए। वे मुझे ढूंढ रहे थे। मुझे वहां से सुरक्षित निकाला गया। मुझे ऐसी हालत में वहां से निकलना पड़ा कि मैं अपना जूता भी नहीं पहन पाया।'
गनी ने आगे कहा, 'सुरक्षा अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि तालिबान मुझे ढूंढ रहा है। मैं काबुल में नहीं रह सकता था। मैं मोहम्मद नजीबुल्लाह की तरह खत्म नहीं होना चाहता था, जिन्हें 1996 में तालिबान ने फांसी दी थी।' राष्ट्रपति ने कहा कि 'जब तक मैं वापस नहीं आ जाता, मैं दूसरों के साथ परामर्श कर रहा हूं ताकि मैं अफगानों के लिए न्याय के लिए अपने प्रयास जारी रख सकूं।'
सरकारी कोष से 16.9 करोड़ डॉलर की चोरी का आरोप
इस बीच, तजाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अघबार ने गनी पर सरकारी कोष से 16.9 करोड़ डॉलर की ‘चोरी’ करने का आरोप लगाया है और अंतरराष्ट्रीय पुलिस से उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। बता दें कि तालिबान के काबुल के पास पहुंचते ही गनी रविवार को अफगानिस्तान छोड़कर चले गए थे और बुधवार तक उनके ठिकाने की कोई जानकारी नहीं थी। बाद में संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि उसने ''मानवीय आधार'' पर गनी और उनके परिवार को अपने यहां अनुमति दी है।