इस्लामाबाद : पाकिस्तान में आज (रविवार, 3 अप्रैल) इमरान खान के लिए परीक्षा की घड़ी है। विपक्ष की ओर से उनके खिलाफ नेशनल असेंबली में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज मतदान होना है, जिससे यह तय हो सकेगा कि इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने रहेंगे या उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ेगी और सत्ता की कमान विपक्ष के किसी नेता के पास होगी। इस बीच पाकिस्तान में सत्तापक्ष और विपक्ष में सियासी घमासान को लेकर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं, जिसके मद्देनजर राजधानी इस्लामाबाद में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है।
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले यहां हिंसा की आशंका को भी खारिज नहीं किया जा रहा है और इसकी वजह इमरान की उस अपील को बताया जा रहा है, जिसमें उन्होंने शनिवार को अपने एक संबोधन के दौरान पाकिस्तान के लोगों से विपक्ष की मुहिम के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया था। हालांकि उन्होंने 'शांतिपूर्ण प्रदर्शन' की अपील लोगों से की थी, लेकिन यह वास्तव में शांतिपूर्ण ही रहेगा, इसे लेकर प्रशासन को आशंका है, जिसे देखते हुए यहां सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं।
इमरान खान ने बदली रणनीति
इस्लामाबाद में जहां रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है, वहीं पाकिस्तानी संसद के चारों तरफ घेराबंदी कर दी गई है और बड़ी संख्या में पुलिस बलों को यहां सादी वर्दी में भी तैनात किया गया है। साथ ही संसद की ओर जाने वाले रास्तों को भी बंद कर दिया गया है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इमरान खान ने जहां पूर्व में अपनी पार्टी के सांसदों को नेशनल असेंबली के सत्र में शामिल नहीं होने और वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनने के लिए कहा था, वहीं अब उन्होंने अपनी पार्टी के सांसदों से कहा है कि वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा लें और सरकार का खुलकर बचाव करें। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरान खान खुद भी नेशनल असेंबली में मौजूद रहेंगे और अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसदों की अगुवाई करेंगे।
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बताया यह भी जा रहा है कि इमरान खान ने अपनी सरकार बचाने के लिए अब अपनी पूरी रणनीति ही बदल डाली है। उन्होंने जहां अपनी पार्टी के सांसदों को नेशनल असेंबली की कार्यवाही में सक्रियतापूर्वक हिस्सा लेने को कहा है, वहीं विपक्षी पार्टी के सदस्यों को संसद में प्रवेश करने से रोकने की 'रणनीति' भी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों और इमरान खान से नाराज चल रहे उनकी पार्टी के लगभग दो दर्जन सांसदों को विरोध-प्रदर्शन के जरिये संसद में प्रवेश करने से रोकने की नीति बनाई गई है। 'जियो न्यूज' ने सूत्रों के हवाले से दी रिपोर्ट में कहा है कि इमरान खान की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद भी प्रदर्शनकारियों को डी-चौक और संसद भव के मुख्य गेट के सामने लाने की रणनीति बनाई है, जिसमें उच्च सुरक्षा वाले रेड जोन में किसी भी तरह से भीड़ के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई है।
विपक्ष को ऐसे 'धक्का' देंगे इमरान खान!
कुछ पाकिस्तानी चैनलों की रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग में देरी करने की रणनीति के तहत संसद जाने वाले मार्ग पर धरना देने की भी योजना है। इस दौरान लोगों को बांधे रखने के लिए पार्टी के नेताओं का यहां लंबा भाषण हो सकता है, जो विपक्ष के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। इमरान के मंत्री फवाद हुसैन चौधरी ने हालांकि ऐसी रिपोर्ट्स से इनकार किया है और इसे 'विरोधी मीडिया का अभियान' बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ मध्यम वर्गीय लोगों की पार्टी है, जिसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
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हालांकि इमरान खान ने शनिवार को जिस तरह देशवासियों से प्रदर्शन की अपील की, उसे देखते हुए कुछ भी कह पाना मुश्किल है और यही वजह है कि इस्लामाबद में जहां रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है, वहीं संसद के चारों ओर भी घेराबंदी कर दी गई और उस ओर जाने वाले रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है। इमरान खान ने शनिवार के अपने संबोधन में न केवल मुल्क की अवाम, खासकर युवाओं से प्रदर्शन की अपील की थी, बल्कि यह भी कहा था कि पूरी बाजी अब पलट चुकी है और रविवार को वह विपक्ष को बड़ा धक्का देने जा रहे हैं।