- पंजशीर घाटी के रास्ते काफी घुमावदार हैं, इन रास्तों में उलझ जाते हैं हमलावर
- पंजशीर को 'पांच शेरों की घाटी' भी कहा जाता है, नॉर्दन अलायंस का गढ़ है यह
- अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान ने इस इलाके पर हमला किया
नई दिल्ली : पंजशीर घाटी को छोड़कर तालिबान का नियंत्रण पूरे अफगानिस्तान पर हो गया है। इस घाटी में उसे भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। यहां नार्दन अलायंस उसे कड़ी टक्कर दे रहा है। दरअसल, सोमवार को तालिबान ने पंजशीर घाटी में दाखिल होने की कोशिश की लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम हो गई। नॉर्दन अलायंस के लड़ाकों ने तालिबान को घाटी में घुसने नहीं दिया। इस दौरान दोनों गुटों के बीच भीषण गलीबारी हुई। गोलीबारी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि यह संघर्ष कितना भीषण था।
नॉर्दन अलायंक का दावा-तालिबान के 12 लड़ाके मारे गए
नॉर्दन अलायंस का दावा है कि इस गोलीबारी में तालिबान के करीब 12 लड़ाके मारे गए और 20 से ज्यादा गिरफ्तार हुए। गत 30 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की पूरी तरह से वापसी हो गई। काबुल एयरपोर्ट पर अब तालिबान का नियंत्रण हो गया है। अफगानिस्तन में पंजशीर घाटी ही एक ऐसा इलाका है जहां तालिबान का कब्जा नहीं हुआ है। यहां नॉर्दन अलायंस और अन्य गुट तालिबान से टक्कर लेने के लिए जुटे हैं। आने वाले दिनों में पंजशीर घाटी को लेकर संघर्ष और तेज हो सकता है।
'NRF के ठिकानों की जानकारी जुटाना चाहता है तालिबान'
सोमवार को अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलते ही तालिबान ने पंजशीर घाटी पर हमला बोला। शुरुआती मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि यहां पर हुए संघर्ष में तालिबान के आठ लड़ाकों की मौत हुई। नेशनल रेजिसटेंस फोर्स (NRF) के प्रवक्ता फहीम दस्ती का कहना है कि तालिबान के साथ यह लडा़ई घाटी के पश्चिमी प्रवेश द्वार के समीप हुई। प्रवक्ता का कहना है कि तालिबान इस घाटी में दाखिल होने की फिराक में है। वह इस हमले के जरिए एनआरएफ के ठिकानों के बारे में जानकारी जुटाना चाह रहा होगा।
राजधानी काबुल से 150 किलोमीटर दूर है पंजशीर घाटी
राजधानी काबुल से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित पंजशीर घाटी में ही अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और कई नेता शरण लिए हुए हैं। पंजशीर को 'पंजशेर' भी कहा जाता है जिसका मतलब है 'पांच शेरों की घाटी'। यह इलाका नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ है। पंजशीर घाटी के रास्ते काफी घुमावदार हैं। इसकी घाटियां बचाव के रूप में काम करती हैं। 70-80 के दशक में सोवियत रूस ने पंजशीर पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन वह भी असफल रहा।