- हमने तालिबान के साथ अग्रीमेंट किया है। उन्होंने लोगों को जाने की इजाजत दे दी है: जो बाइडेन
- जरूरत पड़ने पर हम तालिबान के साथ काम कर सकते हैं: बोरिस जॉनसन
- अमेरिका के 6 हजार सैनिक अफगानिस्तान में हैं तैनात
नई दिल्ली: तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद (Taliban in Afghanistan) पूरे विश्व की नजर अफगानिस्तान पर टिकी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden on Taliban) ने लगातार दूसरे दिन इस मुद्दे को लेकर संबोधन किया। बाइडेन के इस संबोधन में एक बात ये सामने आई कि अमेरिका ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए तालिबान के साथ अग्रीमेंट किया है। वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी ये कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वो तालिबान के साथ काम करेंगे।
बाइडेन ने किया तालिबान से एग्रीमेंट
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बीती रात दुनिया को अफगानिस्तान मुद्दे पर संबोधित किया। उन्होंने अफगानिस्तान में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताया लेकिन इस दौरान उन्होंने तालिबान को लेकर जो कहा वो वाकई चिंताजनक है। बाइडेन ने कहा,'हमने तालिबान के साथ अग्रीमेंट किया है। उन्होंने लोगों को जाने की इजाजत दे दी है। ये उनके लिए भी बेहतर है। हमने जुलाई से लेकर अभी तक 18 हजार लोगों को रेस्क्यू किया है... और 14 अगस्त से लेकर अभी तक के मिलिट्री ऑपरेशन में 13 हजार लोगों को रेस्क्यू किया गया है। हजारों लोग अमेरिकी सरकार की मदद से चार्टर फ्लाइट से बाहर निकले।'
अफगानिस्तान में 6 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात
वैसे तालिबान कितने भी अग्रीमेंट कर ले लेकिन आतंकी की फितरत नहीं बदलती। काबुल एयरपोर्ट पर फायरिंग की आवाज लागातर सुनाई दे रही है और वहां हालात खराब हैं। ऐसे में अमेरिका ने एयरपोर्ट पर भारी तैनाती भी की है। इस तैनाती के बारे में बात करते हुए बाइडेन ने कहा, 'अभी अफगानिस्तान में हमारे 6000 सैनिक तैनात हैं। 82वीं एयरबॉर्न रनवे को सुरक्षित रख रही है। आर्मी की 10वीं माउंटेन डिविजन एयरपोर्ट के बाहरी दायरे की सुरक्षा में तैनात है। 24वीं मरीन यूनिट लोगों को निकालने का काम कर रही है। ये इतिहास का सबसे मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन है। अमेरिका दुनिया का अकेला ऐसा देश है जो मीलों एक देश में ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।'
बोरिस जॉनसन ने दिए तालिबान संग काम करने के संकेत
तालिबान को लेकर पश्चिमी देशों की बेबसी भी साफ नजर आ रही है। अमेरिका के साथ साथ अफगानिस्तान लोगों के रेस्क्यू ऑपरेशन को ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन भी मॉनिटर कर रहे हैं लेकिन जॉनसन की बातों में भी बेबसी दिख रही है, वो भी इस तक की वो तालिबान के साथ काम करने तक को राजी हो गए। बोरिस जॉनसन ने कहा, मैं लोगों को ये आश्वासन देना चाहता हूं हम हर तरह से अफगानिस्तान के लिए कोई हल निकाल रहे हैं, चाहे इसके लिए हमें तालिबान के साथ ही काम क्यों न करना पड़े... अफगानिस्तान को लेकर हम हमेशा चिंतित रहेंगे।'
20 साल तक अफगानिस्तान में बेस बनाकर रहने के बाद जिस तरह से अमेरिका अफगानिस्तान से निकला है पहले ही उसपर इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे थे। और अब लोगों को बाहर निकालने के लिए तालिबान के साथ अमेरिका का अग्रीमेंट सवालों के घेरे में आने वाला है।