Madhya Pradesh: इंदौर में बेटे ने मां को दिलाया इंसाफ, 12 साल के बेटे ने लड़ी कानूनी लड़ाई, ये है पूरा मामला

MP News: इंदौर में एक नाबालिक मासूम की वकील के जरिए दाखिल की गई रिट को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया है कि, मां- बेटे को पुलिस सुरक्षा में आजाद करवाया जाए। वहीं आरोपी को पिता को 5 हजार मासिक गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए हैं।

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बेटे ने मां को दिलाया इंसाफ   |  तस्वीर साभार: Facebook
मुख्य बातें
  • आरोपी पति ने पिछले एक वर्ष से पत्नी व बेटे को रखता है घर में कैद
  • एक बेटे ने मां के हक के लिए कानून की जंग फतेह कर उसे इंसाफ दिलाया
  • कोर्ट ने आरोपी को 5 हजार मासिक गुजारा भत्ता देने के दिए है आदेश

MP News: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एक अनूठा मामला सामने आया है। जहां एक बेटे ने मां के हक के लिए कानून की जंग फतेह कर उसे इंसाफ दिलाया। यह मामला उस मां का है, जिसे पति ने घर में गत एक साल से कैद कर रखा था। मां को बेरहम पिता के जुल्मों से मुक्ति के लिए 12 साल के बेटे ने पहले पुलिस की मदद मांगी, जब वहां से निराशा हाथ लगी को कोर्ट के दरवाजे पर इंसाफ के लिए दस्तक दी।

यहां पीड़ित मासूम को इंसाफ के साथ ही जिंदगी जीने की आसान राह भी मिली। मासूम नाबालिक की वकील के जरिए दाखिल की गई रिट को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया है कि, मां- बेटे को पुलिस सुरक्षा में आजाद करवाया जाए। वहीं आरोपी को 5 हजार मासिक गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए हैं। 

ये है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक, इंदौर के एरोड्रम रोड पर बांगडदा क्षेत्र के वेंकटेश विहार में रहने वाला आरोपी पति गत एक वर्ष से अपनी 37 वर्षीय पत्नी व 12 वर्षीय बेटे को घर में कैद करके रखता था। दोनों पर मारपीट सहित कई जुल्म ढहाता था। घर के गुजारे के लिए पीड़िता सिलाई का काम करती है। मगर आरोपी घर पर बाहर से ताला जड़ दिनभर बाहर रहता था। इस बीच नाबालिग जिला कोर्ट में मदद की गुहार लगाने जाता है। वहां उसे एडवोकेट कृष्ण कुमार व ईश्वर प्रजापति मिलते हैं। हालांकि दोनों वकीलों ने मार्च 2022 में पहले उसे प्रार्थना पत्र बनाकर दिया व पुलिस के आला अधिकारियों के पास भेजा था। मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। 

ऐसे मिला इंसाफ

इसके बाद पीड़ित नाबालिग दोबारा दोनों वकीलों को ढूंढते हुए इंदौर की जिला कोर्ट पहुंचा। पीड़ित ने इंसाफ दिलाने की बात कही तो दोनों वकील भावुक हो गए। जिसके बाद उन्होंने जिला बाल विकास अधिकारी से बात कर कोर्ट में रिट दाखिल की। इसकी एक प्रतिलिपि डीएम को भी भेजी गई। कोर्ट में चली सुनवाई के बाद अब न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकिता त्रिपाठी ने मामले में फैसला सुनाते हुए पुलिस को मां-बेटे को आरोपी के बंधन से मुक्त करवाने के सहित उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के आदेश दिए हैं। वहीं आरोपी को पत्नी व बच्चे को 5 हजार का मासिक गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए हैं। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में लिखा है कि, कोर्ट के आदेशों की अवहेलना में आरोपी को एक वर्ष के कारावास व दो हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।  


 

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