'दादा की रसोई' में पांच रुपये में लोगों का पेट भर रहे जुनैद ढेबर, नितिन गडकरी कर चुके हैं सम्मानित

Dada ki Rasoi: नोएडा में चलने वाली 'दादी की रसोई' की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी जुनैद ढेबर 'दादा की रसोई' के माध्यम से गरीब लोगों को भर पेट खाना उपलब्ध करा रहे हैं।

Dada Ki Rasoi
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Dada ki Rasoi: नोएडा में चलने वाली 'दादी की रसोई' की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी जुनैद ढेबर 'दादा की रसोई' के माध्यम से गरीब लोगों को भर पेट खाना उपलब्ध करा रहे हैं। खतौली में हाइवे के आसपास ये दादा की रसोई काफी चर्चित हो रही है। यहां मात्र 10 रुपये में पेट भरकर भोजन मिलता है और रोज सैकड़ों की संख्या में जरूरतमंद भोजन करने आते हैं। दादा की रसोई के फाउंडर जुनैद ढेबर को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 

जुनैद ढेबर इसके संचालक हैं और वह कहते हैं कि बचपन से लोगों के प्रति दया भावना और उनके जीवन में बदलाव लाने की इच्छा के चलते उन्होंने दादा की रसोई की शुरुआत की। जुनैद ने होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है।उन्होंने सबसे पहले इंडियन चिली के नाम से रेस्टोरेंट शुरू किया और फिर 2016 में वेनिग्टन कोर्ट नाम से होटल तैयार किया। 

जब 2020 में कोविड 19 से पूरी दुनिया लड़ रही थी, तब उन्हें दादा की रसोई का ख्याल आया। उन्होंने रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल में 'दादा की रसोई' की शुरुआत की ताकि कोविड पीड़ितों और उनके परिवार भरपेट भोजन कर सकें। इसके बाद उन्होंने हाईवे पर दादा की रसोई की शुरुआत की, जहां मजदूर, कामकाजी लोग 10 रुपये में भरपेट खाना खाते हैं। 

 

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