नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका के महान क्रिकेटर एबी डिविलियर्स अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद खेल के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक बने हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका की तीनों प्रारूपों में लंबे समय तक कप्तानी कर चुके एबी डिविलियर्स इस बार अच्छी बात के लिए सुर्खियों में नहीं है। 2015 में भारत दौरे पर दक्षिण अफ्रीका ने डीन एल्गर को टीम इंडिया के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में शामिल करने के लिए भेजा था। खाया जोंडो उस समय टीम का ही हिस्सा थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। यह सब इसलिए क्योंकि एबी डिविलियर्स नहीं चाहते थे कि जोंडो को टीम में जगह मिले।
दक्षिण अफ्रीका के न्यूज आउटलेट न्यूज24 की रिपोर्ट के मुताबिक चयनकर्ताओं ने भारत के खिलाफ पांचवें वनडे के लिए टीम में खाया जोंडो का नाम लिखा था, लेकिन उन्हें टीम में जगह नहीं मिली क्योंकि एबीडी ने चयनकर्ताओं को बीच दौरे से लौटने की धमकी दे दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक अगर खाया जोंडो को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जाता तो डिविलियर्स ने बीच दौरे से लौटने की धमकी चयनकर्ताओं को दी थी।
इस विवाद के बाद चोटिल जेपी डुमिनी की जगह डीन एल्गर को विकल्प के रूप में भारत भेजा गया था। टीम में होने के बावजूद खाया जोंडो को बेंच पर बैठने को मजबूर होना पड़ा था। भारत का यह दौरा समाप्त होने के बाद 'ब्लैक प्लेयर्स इन यूनिटी' नाम का ग्रुप बना, जहां जोंडो को शामिल विवाद का जिक्र किया गया। जहां क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका को टीम में कुछ अश्वेत खिलाड़ियों को शामिल करने की जरूरत थी, लेकिन ग्रुप ने आरोप लगाया कि उन्हें सिर्फ मैदान पर पानी पिलाने के लिए टीम में चुना जाता है।
पिछले महीने पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर एश्वेल प्रिंस ने भी जोंडो के साथ हुए दुर्व्यवहार पर अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर के जरिये जाहिर की थी। प्रिंस ने ट्वीट किया था, 'कुछ प्रोटियाज फैंस इस सप्ताह सोशल मीडिया पर जो पढ़ा, उसे जानकर हैरान या निराश हो सकते हैं। सच कहा गया। करीब 10 साल से वहां कभी एकता नहीं रही। 2005 में ऑस्ट्रेलिया दौरे से लेकर हम लोग कई बार नस्लभेद के शिकार हुए। जब हम इस पर ध्यान लेकर आए, तो हमें कहा गया- यह तो कुछ लोग कहते हैं, बहुमत नहीं। चलिए मैदान में लौटते हैं। 2007 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारा स्कोर 60/6 था, किसे इस बदलाव का दोषी ठहराएं। बिलकुल कोई मालिकाना हक नहीं।'
दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट में जब भी अश्वेत खिलाड़ियों के प्रति भेदभाव की बात सामने आती है, तो जोंडो के किस्से का जिक्र हमेशा होता आया है। 2015 में ऐसी भी रिपोर्ट आई कि डिविलियर्स को मजबूर होकर प्लेइंग इलेवन में वर्नोन फिलेंडर को शामिल करना पड़ा, जबकि वह काइल एबॉट को रखना चाहते थे।
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