लंदन: अमर विर्दी अपने साथी सिख स्पिनर मोंटी पानेसर के उदाहरण का अनुसरण करते हुए खुद को इंग्लैंड की टेस्ट टीम में स्थापित करना चाहते हैं। 21 साल के सरे के ऑफ स्पिनर विर्दी को वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने शुरू होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज से पहले इंग्लैंड के 30 सदस्यीय ट्रेनिंग कैंप में बुलाया गया। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के बाद यह पहली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सीरीज खेली जाना है।
एक और एशियाई मूल के ब्रिटीश विक्रम सोलंकी जब हाल ही में सरे के हेड कोच बने तो फिर बहस छिड़ी कि इंग्लिश क्रिकेट अल्पसंख्यक समुदायों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त कर रहा है। विर्दी को अपने बचपन के हीरो का नाम बताने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होती। विर्दी ने कहा, 'मैंने तो ग्रीम स्वान और मोंटी पानेसर को एकसाथ गेंदबाजी करते हुए देखा और मेरे लिए वो काफी प्रेरणादायी है। यह सही है कि मोंटी के साथ लगाव है क्योंकि वह हमारे ही समुदाय से हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'हमारा समुदाय कई इंडस्ट्री में है और फिर किसी को ऐसे आगे बढ़ते देखना और बेहतर प्रदर्शन करते देखने पर आपको जरूर प्रोत्साहन मिलता है। इससे समझ आता है कि अगर वो अच्छा प्रदर्शन कर सकता है तो आप भी कर सकते हो।' 2019/20 में इंग्लैंड की दूसरे दर्जे की टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर चुके विर्दी ने अब तक 23 मैचों में 29 से कम की औसत से 69 प्रथम श्रेणी विकेट चटकाए हैं। बड़ी बात यह है कि विर्दी ने लंदन के उस राज्य स्कूल से पढ़ाई की, जहां क्रिकेट बिलकुल भी नहीं खेला जाता।
अपनी क्रिकेट यात्रा के बारे में बात करते हुए विर्दी ने कहा, 'अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए सिर्फ अपने लोगों के साथ क्रिकेट खेलकर फिर बड़े क्लब में पहुंचना आसान नहीं है। जैसे कि मैंने इंडियन जिमखाना से शुरुआत की, जिसमें बड़ी संख्या में एशियाई मूल के लोग हैं। फिर 12 साल की उम्र में सनबरी क्रिकेट क्लब में जाना मेरे लिए मुश्किल था। मगर मेरे क्रिकेट के लिए यह बहुत अच्छा रहा क्योंकि आपको ऐसे स्तर पर खेलना जरूरी है, जहां इसकी पहचान हो।'
विर्दी ने हमेशा समर्थन के लिए अपने माता-पिता का धन्यवाद अदा किया। उन्होंने कहा, 'अगर आप प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हो और वहां बिलकुल भी क्रिकेट नहीं खेला जा रहा है तो फिर बात ही अलग है।' विर्दी ने सरे के दो अंतरराष्ट्रीय ऑफ स्पिनर्स पाकिस्तान के सकलैन मुश्ताक और इंग्लैंड के पेट पोकॉक को उन्हें प्रभावित करने के लिए शुक्रियाअदा किया। विर्दी ने कहा, 'युवा उम्र से मेरे कोच सकलैन मुश्ताक रहे, जिन्होंने दूसरा का आविष्कार किया तो उन जैसा कोच मिलने पर मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं।' पोकॉक ने 1960, 70 और 80 के दशक में टेस्ट क्रिकेट खेली। विर्दी कहते हैं कि पोकॉक स्पिन गेंदबाजी को लेकर काफी उत्साहित और ऊर्जावान हैं। उनसे काफी मदद मिली।
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