नई दिल्ली: इंग्लैंड के स्टार ऑलराउंडर बेन स्टोक्स आज अपना 30वां जन्मदिन मना रहे हैं। 2011 में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू करने के बाद स्टोक्स मौजूदा युग के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में शुमार है। मगर न्यूजीलैंड में जन्में ऑलराउंडर के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। स्टोक्स मैदान के बाहर काफी विवादों में रहे हैं। 2014 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली ही गेंद पर आउट हो गए थे, तब उन्होंने ड्रेसिंग रूम में जाकर अपनी निराशा लॉकर पर निकाली और जोरदार पंच जमाया। इससे उनके हाथ में फ्रैक्चर हुआ और वह 2014 वर्ल्ड टी20 से बाहर हो गए।
तीन साल बाद स्टोक्स एक बार फिर सुर्खियों में छाए रहे और इस बार भी कारण अच्छा नहीं था। 2017 सितंबर में स्टोक्स को नाईटक्लब के बाहर सड़क पर दो आदमियों के साथ मारपीट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया। भटकने के आरोपों का पालन किया गया और स्टोक्स पर ईसीबी ब्रिस्टल घटना द्वारा खेल को बदनाम करने का आरोप लगाया गया। दिसंबर 2018 में स्टोक्स पर आरोप साबित हुए और उन्हें 30 हजार पाउंड (करीब 31 लाख रुपए) का जुर्माना भरना पड़ा व आठ मैचों का प्रतिबंध झेला।
स्टोक्स अब तक क्रिकेट के बेड ब्वॉय बन चुके थे और क्रिकेट के मैदान के बाहर उनकी हरकतों से कोई प्रभावित नहीं था। इसके बाद बेन स्टोक्स ने अपना रूप बदला और पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाया। स्टोक्स क्रिकेट में तो अच्छे थे ही, लेकिन उन्हें इसे साबित करना था। फिर आया 2019 विश्व कप। स्टोक्स ने दक्षिण अफ्रीका के एंडिल फेहलुकवायो का दर्शनीय कैच पकड़कर शुरूआत दिखा दी कि उनमें बहुत दम है।
यहां से स्टोक्स के सारे विवाद हवा में उड़ गए और वो क्रिकेट के दम पर अपनी पहचान बनाने लगे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ स्टोक्स ने 115 गेंदों में 89 रन बनाए। श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 82 रन बनाए। स्टोक्स ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन फाइनल के लिए बचा रखा था। इंग्लैंड की टीम फाइनल में 242 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही थी। न्यूजीलैंड ने 82 रन के स्कोर पर इंग्लैंड के चार खिलाड़ियों को आउट कर दिया था।
तब स्टोक्स क्रीज पर आए। उन्होंने नाबाद 84 रन बनाए और इंग्लैंड को फाइनल जिताने की आस जगाए रखी। इंग्लैंड ने मैच टाई कराया और फिर बाउंड्री के आधार पर विश्व कप खिताब जीता। स्टोक्स ने जोस बटलर के साथ इस मैच में 110 रन की साझेदारी की थी। जब बटलर आउट हुए तो स्टोक्स ने हिम्मत नहीं हारी और एक छोर पर डटे रहे। इंग्लैंड विश्व कप खिताब जीतने में सफल रहा।
अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक खेलने के बाद स्टोक्स को एक महीने के भीतर ही दोबारा चमत्कार दिखाने का मौका मिला। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हेडिंग्ले में तीसरा टेस्ट खेला जा रहा था। इंग्लैंड को जीत के लिए 360 रन की जरूरत थी, लेकिन उसने 286 रन पर अपने 9 विकेट गंवा दिए थे। मगर स्टोक्स हार मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने 11 चौके और 8 छक्के की मदद से नाबाद 135 रन बनाए और इंग्लैंड को जीत दिलाई। यह पारी स्टोक्स के करियर की जबर्दस्त पारियों में से एक बनी। इसके लिए स्टोक्स को विज्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया।
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