नई दिल्ली: भारतीय टीम के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर शुक्रवार को अपना 47वां जन्मदिन मनाएंगे। क्रिकेट के भगवान, मास्टर ब्लास्टर और कई नामों से सचिन तेंदुलकर को पहचाना जाता है। इन्हें भारत का रत्न भी कहा जाता है। विश्व क्रिकेट में भारत को पहचान दिलाने का श्रेय भी सचिन तेंदुलकर को हासिल है। इतनी महान शख्सियत ने बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड्स अपने नाम किए हैं। वह दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 200 टेस्ट खेले और 100 अंतरराष्ट्रीय शतक जमाए। सचिन तेंदुलकर की पहचान उनके बल्ले से हमेशा रही, लेकिन एक ऐसा भी मैच है, जहां उन्होंने अपनी गेंदबाजी से करतब दिखाया और इसे वनडे इतिहास के सबसे यादगार आखिरी ओवर में से एक का दर्जा प्राप्त हुआ।
चलिए आज सचिन तेंदुलकर बर्थ-डे विशेष पर हम आपको उनके इस यादगार ओवर की कहानी बताते हैं।
यह बात 24 नवंबर 1993 की है। सचिन तेंदुलकर की उम्र तब महज 20 साल थी। वह बल्लेबाजी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके थे। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच कोलकाता के ईडन गार्डन्स पर हीरो कप का सेमीफाइनल मैच खेला जा रहा था। यह मुकाबला डे/नाइट था और बता दें कि इस मुकाबले में रोमांच की हदें पार हो चुकी थीं।
भारत बना टॉस का बॉस
भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। भारतीय टीम महज 195 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने सबसे ज्यादा 90 रन बनाए थे। उन्होंने 118 गेंदों में सात चौके और एक छक्के की मदद से यह रन बनाए थे। टीम इंडिया की शुरुआत तो बेहद ही खराब रही। ओपनर मनोज प्रभाकर (3) और तीसरे नंबर पर आए विनोद कांबली (4) रनआउट हुए। अजय जडेजा (6) को डिविलियर्स ने एलबीडब्ल्यू आउट कर दिया।
18/3 के स्कोर से अजहर ने सचिन तेंदुलकर (15) के साथ मिलकर स्कोरबोर्ड 50 रन के पार पहुंचाया। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 35 रन की साझेदारी की। तब सचिन को स्नेल ने रिचर्डसन के हाथों कैच आउट कराया। युवा बल्लेबाज ने 31 गेंदों में तीन चौके की मदद से 15 रन बनाए थे। यहां से अजहर को प्रवीण आमरे (48) का अच्छा साथ मिला। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 95 रन की साझेदारी की। मगर आमरे रनआउट हो गए। यहां से भारतीय पारी पूरी तरह डगमगाई और पूरी टीम 50 ओवर में 195 रन पर ऑलआउट हो गई।
प्रोटियाज का पलड़ा भारी
दक्षिण अफ्रीका की टीम इस पल तक मैच जीतने की दावेदार नजर आ रही थी। हालांकि, जवागल श्रीनाथ ने केपलर वेसल्स (10) को एलबीडब्ल्यू आउट किया, लेकिन इसके बावजूद मेहमान टीम की पकड़ मजबूत नजर आ रही थी। हालांकि, भारतीय गेंदबाजों ने किला लड़ाया और दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को खुलकर रन नहीं बनाने दिए व समय-समय पर विकेट भी निकाले।
दक्षिण अफ्रीका की चिंता तब बढ़ी जब रिचर्ड स्नेल को विजय यादव ने अनिल कुंबले की गेंद पर स्टंपिंग कर दिया। तब प्रोटियाज टीम का स्कोर 145/7 हो गया था। मैच रोमांचक स्थिति में पहुंच चुका था। हालांकि, दक्षिण अफ्रीका की वापसी ब्रायन मैकमिलन (48*) और डेविड रिचर्डसन (15) ने कराई। दोनों ने 8वें विकेट के लिए 44 रन की साझेदारी की। रिचर्डसन रनआउट हुए तो रोमांच फिर बढ़ा।
मैं करूंगा आखिरी ओवर: सचिन
दक्षिण अफ्रीका को आखिरी ओवर में जीत के लिए 6 रन की दरकार थी। तब कपिल देव और जवागल श्रीनाथ के दो-दो ओवर बचे थे। खिलाड़ी मैदान पर विचार कर रहे थे कि आखिरी ओवर किससे कराएं। सचिन तेंदुलकर इस ओवर को करने की आतुर थे। 20 साल का क्रिकेटर इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठाना चाहता था कि आखिरी ओवर में विरोधी टीम को 6 रन नहीं बनाने देगा। कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने दांव खेलना चाहा। उन्होंने गेंद तेंदुलकर को थमा दी। ब्रायन मैकमिलन स्ट्राइक पर थे। सचिन की पहली गेंद पर उन्होंने डीप कवर्स में शॉट खेलकर एक रन लिया। अरे ये क्या। दूसरे छोर पर डिविलियर्स दूसरा रन लेने दौड़ पड़े। सलील अंकोला ने गेंद विकेटकीपर की तरफ फेंकी और रनआउट।
आखिरी गेंद पर प्रोटियाज टीम को जीत के लिए 4 रन की दरकार थी। मैकमिलन कुछ भी कर सकते थे। मगर तेंदुलकर अपने अलग शबाब पर थे। उन्होंने आखिरी गेंद पर मैकमिलन को बीट कर दिया और भारत को 2 रन की यादगार जीत दिलाई। पूरा स्टेडियम जोश से झूम उठा। सचिन तेंदुलकर एक ओवर के कारण हीरो बन गए। भारत ने मैच जीता और सचिन तेंदुलकर ने दिल।
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