नई दिल्ली: 'क्रिकेट के भगवान' माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर आज अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। मास्टर ब्लास्टर और कई नामों से पहचाने जाने वाले इस 5 फीट 5 इंच कद के बल्लेबाज ने 22 गज की पिच पर 24 साल तक एकछत्र राज किया। सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट का वो नाम है, जिसने क्रिकेट की सूरत बदलने का काम किया। महान विव रिचर्ड्स और सुनील गावस्कर को अपना आदर्श मानने वाले तेंदुलकर ने इन दोनों बल्लेबाजों के सबसे मजबूत पक्षों को अपने में समेटा और बल्लेबाजी का तरीका बदल दिया। तेंदुलकर की बल्लेबाजी में जबर्दस्त आक्रमकता थी और साथ ही साथ वह तकनीकी रूप से बेहद मजबूत थे।
16 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले तेंदुलकर बहुत जल्द भारत के बेटे बन गए थे। घर-घर में सचिन तेंदुलकर को पहचान मिल चुकी थी। सचिन तेंदुलकर ने अपने बल्ले से वो कमाल कर दिखाया था कि दुनिया उनकी दीवानी हो चुकी थी। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने एक जमाना वो भी देखा जब सचिन तेंदुलकर पर पूरी टीम निर्भर थी। अगर सचिन तेंदुलकर आउट हुए तो घरों में टीवी बंद हो जाती थी क्योंकि पता होता था कि अब टीम इंडिया का बल्लेबाजी क्रम ढह जाएगा। आप भी कल्पना कर सकते हैं कि सचिन तेंदुलकर ने अपने जीवन में लोगों से कितना प्यार पाया होगा।
बड़ी बात यह रही कि सचिन तेंदुलकर को जितना प्यार देश से मिला, उतना ही इस खिलाड़ी ने देशवासियों को बदले में प्यार भी दिया। अपनी विनम्रता और शानदार खेल के दम पर सचिन तेंदुलकर हर दिल अजीज बन गए। तेंदुलकर ने कई बार ऐसे फैसले लिए, जिसने देश के लोगों को काफी प्रेरित किया, जिसमें कभी शराब या ऐसी चीज का विज्ञापन नहीं करना शामिल रहा, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो। यह कहना गलत नहीं होगा कि सचिन तेंदुलकर को जितना प्यार मिला, उतना ही बराबरी से उन्होंने देशवासियों को प्यार किया।
सचिन तेंदुलकर ने अपने जन्मदिन पर ही देशवासियों को एक खास तोहफा दिया था, जिसे क्रिकेट फैंस लंबे समय तक याद रखेंगे। आज हम सचिन तेंदुलकर की उसी पारी को याद करने जा रहे हैं। 24 अप्रैल 1998 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शारजाह में फाइनल मैच खेला जा रहा था। यह सचिन तेंदुलकर का 25वां जन्मदिन था। शारजाह में यह मुकाबला खेला जा रहा था। तब भारतीय टीम की तुलना में ऑस्ट्रेलिया ज्यादा मजबूत हुआ करती थी, लेकिन पूरी कंगारू टीम सिर्फ एक भारतीय बल्लेबाज से सबसे ज्यादा थर्राती थी क्योंकि उन्हें पता था कि ये बल्लेबाज अपने दम पर पूरी बाजी पलटना जानता है।
टीम इंडिया ने इस मैच में टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी का मौका दिया। कंगारू टीम ने कप्तान स्टीव वॉ (70) और डैरेन लीमैन (70) की दमदार पारियों की बदौलत 50 ओवर में 9 विकेट खोकर 272 रन बनाए। उस समय यह मैच विनिंग स्कोर हुआ करता था। ऑस्ट्रेलिया की रणनीति थी कि तेंदुलकर को जल्द से जल्द आउट कर दिया जाए ताकि अपने नाम हो।
हालांकि, तेंदुलकर के इरादे कुछ और ही थे। तेंदुलकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धुनाई करना शुरू की। सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर की सबसे यादगार पारियों में से एक खेलते हुए 131 गेंदों में 134 रन बनाए और भारत को फाइनल में जीत दिलाई। भारत ने 9 गेंदे शेष रहते 6 विकेट से मैच जीता। तेंदुलकर ने अपनी पारी के दौरान 12 चौके और तीन छक्के जमाए। तेंदुलकर के बल्ले पर गेंद लगे कि दर्शक झूम उठते थे। मास्टर ब्लास्टर ने नयन मोंगिया (28) और कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन (58) ने साथ शानदार साझेदारियां करके भारत की जीत आसान कर दी।
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