आज ही के दिन साल 1987 में जन्म हुआ था एक ऐसे क्रिकेटर का जिसके करियर में अजीबोगरीब उतार-चढ़ाव आते रहे। लेकिन हर बार वो उठता रहा और आलोचकों को करारा जवाब देता रहा। हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश क्रिकेट इतिहास के सबसे शानदार व सफलतम ऑलराउंडर शाकिब अल हसन की। आज उनके जन्मदिन पर हम उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातों का जिक्र करेंगे जो बताने के लिए काफी हैं कि इस क्रिकेटर ने कैसे हर स्थिति में खुद को शीर्ष स्तर पर रखा।
बांग्लादेश के मगुरा जिले में 24 मार्च 1987 को जन्मे शाकिब अल हसन एक बाएं हाथ के स्पिनर और मध्यक्रम के बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। बांग्लादेश क्रिकेट ने अपने इतिहास में जो भी स्वर्णिम पल अब तक जिए हैं, उनमें अधिकतर का शाकिब हिस्सा रह चुके हैं और बहुत से मुकाबलों में वो उन सफलताओं के नायक भी रहे। पिछला एक साल जरूर उनके लिए काफी अजीब रहा है।
गांव में क्रिकेट खेलते थे
मगुरा (खुलना) में शाकिब अल हसन ने बहुत कम उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उस समय बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दूर-दूर तक नजर नहीं आता था। वो अपने गांव में ही क्रिकेट खेलते थे और ये उनकी प्रतिभा ही थी कि हमेशा पहली नजर में वो पसंद आ जाया करते थे। अलग-अलग गांवों की छोटी-छोटी टीमें पैसे देकर उनको खेलने के लिए बुलाती थीं।
एक अंपायर ने पहचान लिया 'हीरा'
गांव में क्रिकेट मैचों में वो अपना शौक पूरा कर रहे थे लेकिन उन्हें तो बहुत आगे जाना था। जरिया बना एक अंपायर। उन्हीं मुकाबलों में एक स्थानीय अंपायर ने शाकिब की प्रतिभा देखी और वो इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने इस्लामपुर पैरा नाम के एक अच्छे क्रिकेट क्लब में उनके अभ्यास का इंतजाम कर दिया। इस्लामपुर पैरा क्लब वहां की मगुरा क्रिकेट लीग की एक चर्चित टीम थी।
पहली ही गेंद पर विकेट
शाकिब वहां अभ्यास किया करते थे लेकिन एक दिन क्रिकेट लीग के मैच में इस्लामपुर ने अचानक शाकिब को खिलाने का फैसला लिया और युवा शाकिब ने पहली ही गेंद पर विकेट झटकते हुए सबको हैरान कर दिया। आपको यकीन नहीं होगा कि क्रिकेट की असली गेंद से ये उनका अनुभव ही था, क्योंकि उससे पहले वो टेनिस बॉल से खेला करते थे। फिर छह महीने उन्होंने एक सरकारी अकादमी में अभ्यास किया और 17 वर्ष की उम्र में उन्हें खुलना टीम की तरफ से राष्ट्रीय लीग में खेलने का अवसर मिल गया। बड़ी शुरुआत हो चुकी थी।
साल 2006 में 'बांग्ला टाइगर' बने, वो पहला कमाल
मेहनत करते रहे और फिर साल 2006 में उन्हें पहली बार देश से खेलने का मौका मिल गया। इसके बाद अगले ही साल उन्हें टेस्ट खेलने का मौका भी मिल गया। और तीसरे साल यानी 2008 में उन्होंने चटगांव टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक पारी में 36 रन देकर 7 विकेट चटका दिए। ये रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन सही मायने में उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला कमाल था जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसी साल उन्हें मुर्तजा की गैरमौजूदगी में अचानक टेस्ट कप्तान बना दिया गया और उनकी कप्तानी में बांग्लादेश ने पहली बार कोई टेस्ट सीरीज जीतने का कमाल किया (वेस्टइंडीज के खिलाफ)। फिर लंबा सफर तय किया। आईपीएल में भी वो टीमों के पसंदीदा खिलाड़ी रहे।
साल 2019 में 'सुपरहिट' होकर अचानक लग गया कलंक
सालों की मेहनत के बाद जब वो 2019 वनडे विश्व कप खेलने पहुंचे तो पूरी बांग्लादेशी टीम एक तरफ थी और शाकिब एक तरफ। वो टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वालों में तीसरे नंबर पर रहे। उन्होंने 8 मैचों में रिकॉर्ड 606 रन बनाए जिसमें 2 शतक और 5 अर्धशतक शामिल रहे। यही नहीं, गेंद से भी दिल जीता और 11 विकेट हासिल किए। बांग्लादेश जरूर सेमीफाइनल तक नहीं पहुंची लेकिन शाकिब की खूब तारीफें हुईं। सब अच्छा था। लेकिन 29 अक्टूबर 2019 को अचानक उन्हें आईसीसी ने दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। जिसमें एक साल निंलबन का है। वजह थी आईसीसी के एंटी करप्शन नियमों का उल्लंघन। एक सट्टेबाज ने उनसे 2018 में संपर्क किया था, उन्होंने ऑफर तो ठुकराया लेकिन बोर्ड या आईसीसी को इसकी जानकारी नहीं दी जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा। वो अब 29 अक्टूबर 2020 को मैदान पर लौट सकेंगे।
टेस्ट क्रिकेट- 56 मैच, 3862 रन, 5 शतक, 24 अर्धशतक, बेस्ट पारी- 217 रन, विकेट- 210
वनडे क्रिकेट- 206 मैच, 6323 रन, 9 शतक, 47 अर्धशतक, बेस्ट पारी- नाबाद 134 रन, विकेट- 260
टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट- 76 मैच, 1567 रन, 9 अर्धशतक, बेस्ट पारी- 84 रन, विकेट- 92
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