सिडनी: विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर पर 4 टेस्ट मैच की सीरीज पर 1-2 से मात देकर पहली बार टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया था। ये पल भारतीय क्रिकेट टीम के लिए उसके टेस्ट इतिहास का सबसे बेहतरीन पल था वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए मुश्किल का। जहां वो बॉल टेंपरिंग विवाद से उबरने की कोशिश कर रही थी और स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के बगैर खेल रही थी।
भारत के खिलाफ यह सीरीज कोच जस्टिन लैंगर के लिए भी चुनौतीपूर्ण रही। लैंगर के लिये ये सीरीज 'खतरे की घंटी' थी। उनका मानना है कि वह श्रृंखला उनके कोचिंग कैरियर में निर्णायक दौर भी रही। लैंगर को मई 2018 में डेरेल लेहमन ने की जगह ऑस्ट्रेलिया का नया कोच बनाया गया था। उसी समय कप्तान स्टीव स्मिथ और उपकप्तान जस्टिन लैंगर गेंद से छेड़खानी मामले में प्रतिबंधित हो गए थे।
भारतीय बल्लेबाजों के कमाल और पेस बैटरी के धमाल के बीच आस्ट्रेलियाई टीम भारत के सामने टिक नहीं सकी थी। ऐसे में उस सीरीज को याद करते हुए लैंगर ने कहा, 'यह खतरे की घंटी थी और मेरे जीवन का कठिन दौर। मुझे इसमें कोई शक नहीं कि दस साल बाद जब मैं अपने कोचिंग कैरियर की समीक्षा करूंगा तो वह श्रृंखला निर्णायिक साबित होगी।'
नहीं पसंद था विराट का जश्न का अंदाज
लैंगर ने इससे पहले भी भारत ऑस्ट्रेलिया सीरीज की चर्चा करते हुए कहा था कि विराट कोहली जब मैदान पर जश्न मनाते थे तो उन्हें पंचिंग बैग जैसा महसूस होता था। उन्होंने हाल ही में रिलीज डाक्यूमेंटरी सीरिज 'द टेस्ट' में कहा था, 'मुझे याद है जब मुझे पंचिंग बैग जैसा महसूस हुआ। ऐसा लगा कि हमारे हाथ पीछे से बंधे हुए हैं।' उन्होंने अपने खिलाड़ियों को कोहली का मुकाबले करने के लिये कहा था लेकिन चेताया था कि छींटाकशी में सीमा नहीं लांघनी है।'
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