केपटाउन: टीम इंडिया को जोहानसबर्ग टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के हाथों 7 विकेट की करारी शिकस्त मिली। केएल राहुल के नेतृत्व में भारतीय टीम उस जज्बे के साथ नहीं खेल सकी, जैसा कि विराट कोहली की कप्तानी में खेलती हुई नजर आई थी। विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम ने सेंचुरियन में 113 रन से पहला टेस्ट जीता था और उम्मीद थी कि जोहानसबर्ग में सीरीज जीतकर वो इतिहास रच देगी। भारतीय टीम के जोहानसबर्ग में जीतने के अवसर इसलिए भी प्रबल थे क्योंकि इससे पहले वो कभी वांडरर्स मैदान पर टेस्ट मैच नहीं हारी थी।
दूसरे टेस्ट से पहले भारत ने जोहानसबर्ग में पांच टेस्ट खेले थे, जिसमें से तीन मैच ड्रॉ रहे जबकि दो मैचों में जीत दर्ज की थी। हालांकि, अब जोहानसबर्ग पिछली बात हो गई है और भारतीय टीम का पूरा ध्यान आगामी तीसरे व अंतिम टेस्ट पर लगा है जो केपटाउन में खेला जाना है। भारतीय फैंस को उम्मीद है कि नियमित कप्तान विराट कोहली इस टेस्ट में वापसी करेंगे। हालांकि, टीम इंडिया का केपटाउन में रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। तो देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारतीय टीम केपटाउन में अपने खराब रिकॉर्ड को सुधारने में सफल होगी?
टीम इंडिया ने केपटाउन में अब तक 5 टेस्ट मैच खेले हैं। एक बार भी भारतीय टीम यहां जीतने में सफल नहीं हुई है। केपटाउन में भारतीय टीम ने दो मुकाबले ड्रॉ कराएं हैं जबकि तीन में उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। भारतीय टीम ने आखिरी बार जब केपटाउन में टेस्ट मैच खेला था तो उसे 72 रन से शिकस्त मिली थी।
ऐसे में भारतीय टीम की कोशिश पुरानी नाकामी को पीछे छोड़ते हुए केपटाउन फतह करके इतिहास रचने की होगी। टीम इंडिया के पक्ष में एक बात है। उसने पहले कभी सेंचुरियन में भी टेस्ट नहीं जीता था, लेकिन मौजूदा दौरे पर उसने इस सिलसिले को तोड़ दिया। ऐसे में भारतीय फैंस को उम्मीद होगी कि भारतीय टीम सेंचुरियन के समान केपटाउन में भी जीत का बिगुल बजाएगी।
टीम इंडिया को इस मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका के दो क्रिकेटरों से सावधान रहना होगा। इन दोनों खिलाड़ियों का केपटाउन में प्रदर्शन जबर्दस्त है। टीम इंडिया को केपटाउन में तेज गेंदबाज कगिसो रबाडा से चौकन्ना रहना पड़ेगा। रबाडा ने केपटाउन में 6 टेस्ट में 35 विकेट चटकाए हैं। वैसे भी नॉर्ट्जे की गैर-मौजूदगी में रबाडा ने दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज आक्रमण की अच्छे से अगुवाई की और जोहानसबर्ग व सेंचुरियन में भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। केपटाउन में चूकि रबाडा का प्रदर्शन जबर्दस्त है तो उनके खौफ से निपटने के लिए भारतीय बल्लेबाजों को नया रास्ता तलाशना होगा।
इसके अलावा भारतीय टीम के सामने दूसरी सबसे बड़ी बाधा दक्षिण अफ्रीका के कप्तान डीन एल्गर साबित हो सकते हैं। जोहानसबर्ग में मैच विनिंग पारी खेलने वाले प्रोटियाज कप्तान ने केपटाउन में 10 टेस्ट खेले, जिसमें तीन अर्धशतक और कुछ शतकों की मदद से 708 रन बनाए हैं। टीम इंडिया को इन धुरंधरों से पार पाते हुए इतिहास रचने के लिए रास्ता खोजना होगा।
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