नई दिल्ली: क्रिकेट को लेकर लता मंगेशकर की दीवानगी जगजाहिर है। वो उम्र के इस पड़ाव पर आने के बाद भी लगातार क्रिकेट देखती थीं और समय-समय पर भारतीय टीम और खिलाड़ियों की व्यक्तिगत उपलब्धियों उन्हें बधाई भी सोशल मीडिया के जरिए देती थीं। साल 1983 में बीसीसीआई को विश्व कप जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों को पुरस्कार देने की मुश्किल से कॉन्सर्ट करके बाहर निकाला था। वहीं साल 2011 में भारतीय टीम की जीत के लिए लिए 81 साल की उम्र में लता दीदी ने निर्जला व्रत भी रखा था।
बीसीसीआई के सामने था बड़ा यक्ष प्रश्न
1983 में कपिल देव की कप्तानी में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम से जुड़ी कहानी तो जग जाहिर है। कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ने लॉर्डस के ऐतिहासिक मैदान पर विश्व कप थामा था तब बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री एनकेपी साल्वे के सामने सबसे यक्ष प्रश्न आ खड़ा हुआ था कि जीत का जश्न मनाने के लिए धन कहां से आएगा।
राज सिंह डुंगरपुर ने किया था कॉन्सर्ट के लिए राजी
उस दौर में बीसीसीआई विश्व क्रिकेट की महाशक्ति नहीं था। खिलाड़ियों को व्यक्तिगत अनुबंधों या अन्य स्त्रोतों से भी आमदनी नहीं होती थी। बोर्ड खिलाड़ियों को बमुश्किल 20 पाउंड का दैनिक भत्ता दे पाता था। ऐसे में साल्वे ने इस समस्या के समाधान के लिए राज सिंह डुंगरपुर से संपर्क किया। डुंगरपुर की लता मंगेशकर से दोस्ती थी। डुंगरपुर ने क्रिकेट की दीवानी लता मंगेशकर से दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक कन्सर्ट करने का अनुरोध किया। खचाखच भरे स्टेडियम में लताजी ने दो घंटे का कार्यक्रम किया। बीसीसीआई ने उस कन्सर्ट से तकरीबन 20 लाख रुपये इकट्ठा किए। इसके बाद सभी खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपये दिए गए।
2011 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में रखा था निर्जला व्रत
वहीं लता मंगेशकर ने साल 2011 में भारत और पाकिस्तान के बीच मोहाली में खेले सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय टीम की जीत के लिए निर्जला उपवास रखा था। भाषा को दिए एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने कहा था, ‘मैंने पूरा मैच देखा और मैं काफी तनाव में थी। जब भारतीय टीम खेलती है तो मेरे घर में सभी का कुछ न कुछ टोटका होता है। मैंने , मीना और ऊषा ने सेमीफाइनल के दौरान कुछ खाया पिया नहीं। मैं लगातार भारत की जीत के लिये प्रार्थना कर रही थी और भारत की जीत के बाद ही हमने अन्न-जल ग्रहण किया।'
1983 सेमीफाइनल से पहले कपिल को बुलाया था डिनर पर
विश्व कप 1983 फाइनल को याद करते हुए उन्होंने इसी इंटरव्यू के दौरान कहा था, 'मैं उस समय लंदन में ही थी और मैंने कपिल देव और उनकी टीम को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले डिनर के लिये बुलाया था और उन्हें शुभकामनायें दीं। इसके बाद जब टीम खिताब जीत गई तब कपिल देव ने मुझे डिनर के लिये बुलाया था। मैंने जाकर टीम को बधाई दी।'
सचिन तेंदुलकर को मानती थीं बेटा
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर के बीच एक मजबूत रिश्ता था। लता जी सचिन तेंदुलकर को वह अपना बेटा मानती थीं और वह भी उन्हें मां सरस्वती कहते थे। यह भी संयोग है कि सरस्वती पूजा के अगले दिन ही भारत की स्वर कोकिला या कहें सुरों की सरस्वती का देवलोकगमन हुआ।
श्रद्धांजलि देने के लिए काली पट्टी बांधकर उतरी टीम इंडिया
भारतीय क्रिकेट टीम रविवार को अपने 1000वें वनडे मैच में हाथ पर काली पट्टी बांधकर उतरी। बोर्ड और टीम का मुश्किल दौर में साथ देने वाली भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी फैन को लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी।
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