हैदराबाद: 'मेरे 30 अंतरराष्ट्रीय शतकों में से मुझे कुछ 10-12 याद होंगे, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ तूफानी शतक 31 साल बाद आज भी मेरे जहन में ताजा है।' मोहम्मद अजहरूद्दीन ने उस दिन के बारे में बात की जब उनके लिए सबकुछ सही हो रहा था। यह दिसंबर 1988 की बात है जब अजहर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सिर्फ 62 गेंदों में शतक जमाया था, जो उस समय 50 ओवर प्रारूप में सबसे तेज शतक था।
पीटीआई ने अजहरूद्दीन से उस मैच के बारे में बातें की, जो भारतीय वनडे इतिहास के सबसे रोमांचक मुकाबलों में से एक है, लेकिन इसके बारे में ज्यादा बातें नहीं की जाती। उस मैच की फुटेज भी उपलब्ध नहीं है जबकि इसका प्रसारण दूरदर्शन पर लाइव हुआ था।
नहीं देख पाए वो अद्भुत पारी
भारतीय टीम जब लक्ष्य का पीछा कर रही थी तब ट्रांसमिशन लिंक खो गई थी और अजहर की तूफानी पारी टीवी पर फैंस देख नहीं सके थे। अजहर ने याद किया, 'यह मुकाबला मोती बाघ पैलेस ग्राउंड पर हुआ था। बहुत ही प्यारा खुला मैदान था जहां दर्शकों के लिए शामियाना थे। मेरे ख्याल से मैंने तीन या चार छक्के (तीन) जमाए थे, जिसमें से दो बार गेंद मैदान के बाहर गई थी जबकि एक गेंद पेड़ पर जाकर टकराई थी। उस दिन मैंने कुछ गलत नहीं किया और मुझे एहसास भी नहीं हुआ कि मैंने करीब 60 गेंदों में शतक पूरा किया।'
कपिल देव की खली थी कमी
भारतीय टीम के गेंदबाजी आक्रमण को कपिल देव की खूब कमी खली थी क्योंकि अन्य गेंदबाजों ने जमकर रन लुटाए थे। संजीव शर्मा ने 10 ओवर में 74 रन, राशिद पटेल ने 10 ओवर में 58 जबकि चेतन शर्मा ने 10 ओवर में 54 रन खर्च किए थे। उन दिनों गेंदबाजों की इस तरह की इकॉनोमी को काफी महंगा माना जाता था।
अजहर ने आगे कहा, 'मैंने वनडे क्रिकेट में कुछ शानदार प्रदर्शन किए, लेकिन हां, अगर यह पारी सर्वश्रेष्ठ नहीं तो उनमें से एक जरूर है। आपको रिकॉर्ड बुक देखना चाहिए, लेकिन उस समय यह हमारा सबसे बड़े लक्ष्य का सफल पीछा करने में से एक था। मुझे याद नहीं, लेकिन शायद ऐसा था।'
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