दुबई: भारत के नितिन मेनन सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के आगामी 2020-21 सीजन के लिए एलीट पैनल में शामिल होने वाले सबसे युवा अंपायर बने। वह इंग्लैंड के नाइजेल लांग की जगह लेंगे। 36 साल के मेनन ने अब तक तीन टेस्ट, 24 वनडे और 16 टी20 इंटरनेशनल मैच में अंपायरिंग की है। वह आईसीसी एलीट पैनल में शामिल होने वाले भारत के तीसरे अंपायर हैं। इससे पहले इस प्रतिष्ठित ग्रुप का हिस्सा पूर्व कप्तान श्रीनिवास वेंकटराघवन और सुंदरम रवि रह चुके हैं।
मेनन के हवाले से आईसीसी ने बयान जारी करते हुए कहा, 'दुनिया के दिग्गज अंपायरों और रेफरी के साथ अंपायरिंग करने का मैंने हमेशा सपना देखा और अब इस पल को महसूस करना बाकी है।' मेनन जब 22 या 23 साल के थे जब उन्होंने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने अंपायरिंग करना शुरू की और जल्द ही सीनियर की पोजीशन पर पहुंचे।
आईसीसी के महाप्रबंधन (क्रिकेट) ज्योफ एलरडाइस (अध्यक्ष), पूर्व खिलाड़ी और कमेंटेटर संजय मांजरेकर व मैच रेफरियों रंजन मदुगले और डेविड बून की चयन समिति ने मेनन का चुनाव किया। मेनन इससे पहले अंपायरों के एमिरेट्स आईसीसी अंतरराष्ट्रीय पैनल का हिस्सा था।
जहां भारतीय अंपायरों के स्तर में पिछले कुछ समय में गिरावट देखने को मिली, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर उसकी किरकिरी हुई, वहीं मेनन का प्रदर्शन इतने वर्षों में बेहतरीन रहा। एलीट पैनल के लिए क्वालीफाई करने से मेनन अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाली एशेज सीरीज में अंपायरिंग के लिए योग्य हो गए हैं। अगर आईसीसी कोरोना वायरस महामारी के कारण स्थानीय अंपायर के फैसले को नहीं अपनाती तो फिर मेनन इसमें अंपायरिंग करते हुए नजर आ सकते हैं। मगर यह तय हो चुका है कि अगले साल इंग्लैंड की टीम जब भारत में आएगी तो मेनन सभी पांच टेस्ट मैचों का हिस्सा होंगे।
पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर नरेंद्र मेनन के बेटे नितिन का क्रिकेट करियर काफी छोटा रहा। उन्होंने मध्य प्रदेश के लिए केवल दो लिस्ट ए मैच खेले। नितिन ने याद किया, 'मेरे पिता नरेंद्र मेनन पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर थे और 2006 में बीसीसीआई ने अंपायरों के लिए करीब 10 साल के अंतराल के बाद परीक्षा आयोजित कराई थी। मेरे पिता ने कहा था कि इस मौके को भुनाओ। उन्होंने कहा था कि अगर तुम यह परीक्षा पास कर लोगे तो अंपायरिंग को हमेशा अपने पेशा बना सकते हो। मैंने परीक्षा दी और 2006 में ही अंपायर बन गया।'
नितिन ने युवा उम्र में अंपायरिंग शुरू की और अब इस पेशे में उन्हें 13 साल हो गए हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी प्राथमिकता अंपायरिंग नहीं बल्कि देश के लिए खेलना थी। मगर मैंने 22 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना छोड़ा और 23 की उम्र में सीनियर अंपायर बन गया। खेलना और अंपायरिंग एकसाथ करना मुमकिन नहीं था। फिर मैंने क्रिकेट छोड़ अपना पूरा ध्यान अंपायरिंग पर लगाया।'
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